निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
मन दीपक निष्कप जलो रे!
सागर की उत्ताल तरंगें,
डोल उठे डगमग भूमंडल
अग्निमुखी ज्वाला बरसाए
धूमकेतु का अंतर हिल जाए
फिर भी तुम ज़हरीले फन को
कालजयी बन उसे दलो रे।
कदम-कदम पर पत्थर-काँटे
पैरों को छलनी कर जाएँ
श्रांत-क्लांत करने को आतुर
क्षण-क्षण में जग की बाधाएँ
मरण-गीत आकर गा-जाएँ
दिवस-रात आपद विपदाएँ
फिर भी तुम हिमपात-तपन में
बिना आह चुपचाप चलो रे
कालकूट जितना हो पी लो
दर्द, दंश दाहों को जी लो
जीवन की जर्जर चादर को
अटल नेह साहस से सी लो
आज रात है तो कल निश्चय
अरुण हँसेगा, खुशियाँ ले लो
आकुल पाषाणी अंतर से
निझर-सा अविराम ढलो रे
जन-हिताय दिन-रात गलो रे।
1. किन परिस्थिति में कवि कालजयी बनने को कह रहे हैं?
2. आशय स्पष्ट कीजिए-
निर्झर-सा अविराम ढलो रे
जन-हिताय दिन रात गलो रे
2. मनुष्य को जीवन में क्या-क्या सहना पड़ता है?
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jab dhumketu ka jawala Hill jaye
2. aalsi mat bano
day night struggle karo
3. manushya ko life me bahut struggle karni padti h
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