Hindi, asked by manishameena3794, 6 hours ago

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
वीर जवानों सुनो तुम्हारे सम्मुख एक सवाल है जिस धरती को तुमने सौचा, अपने खून - पसीनों से हार गई दुश्मन की गोली, वज्र सरीखे सीनों से जब जब उठी तुम्हारी बॉर्हे होता वश में काल है। जिस धरती के लिए सदा तुमने सब कुछ कुर्बान किया |शूली पर चढ़ चढ़ हँस-हँसकर ,कालकूट का पान किया ।जब जब तुमने कदम बढ़ाया हुई दिशाएँ लाल हैं । उस धरती को टुकड़े-टुकड़े करना चाह रहे दुश्मन बड़े गौर से अजब तुम्हारी चुप्पी थाह रहे दुश्मन। जाति- पाँति, वर्गों- फिरको के, वह फैलाता जाल है। कुछ देशों की लोलुप नजरें लगी तुम्हारी और हैं। कुछ अपने ही जयचंदों के मन में बैठा चोर है। सावधान कर दो उसको जो पहने कपटी खाल है।
प्रश्न 1. धरती शब्द से कवि का क्या अभिप्राय है?
प्रश्न 2. धरती के दुश्मन किन रूपों में उसके टुकड़े करना चाहते हैं ?​

Answers

Answered by ganeshjadhav9354
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Answer:

Q2 = धरती को दुशमन जाँत पात वर्गो फिरका के वह फैलाता है।

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