Hindi, asked by thakuryogendra300, 1 month ago

निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ, प्रसंग तथा विशेष सहित व्याख्या लिखिए

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Answered by kadamaditya316
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Answer:

निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए:

Explanation:

असल प्रकाश तो हमारे जीवन में छिपा है - सृजन का प्रकाश ! आदमी का आचरण, आदमी का शील, आदमी का श्रम, आदमी का विवेक और आदमी की भावना जिसे छू लें वह प्रकाशित हो जाए । बड़े बड़े अंधेरों को तराश कर ये प्रकाश निर्झर बहा दें। जवारों और पीताभ गेहूँ के पौधे क्या यह संदेश नहीं देते कि सृजन की यात्रा कभी रुकती नहीं ?

Answer:

गद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्क्या

संदर्भः- प्रस्तुत अवतरण ‘तिमिर गेह में किरण आचरण’ से उद्धृत है। इसके लेखक डा. श्याम सुन्दर दुबे है।

प्रसंग:- जीवन में सृजन के प्रकाश की आवश्यकता को दर्शाया है।

व्याख्या:- सृजन अर्थात निर्माण की आवश्यकता और आकांक्षा मनुष्य को स्वयं के अ ंदर से ही प्राप्त होती है। मनुष्य अपने आचरण, शील, श्रम, विवेक और कार्य संपादन की अभिलाषा से जो भी कार्य करेगा वे अवश्य ही पूर्ण होंगे।

अंधकार में प्रकाश का सृजन मनुष्य के द्वारा ही संभव है। गेहूं के उगते हुए पीताभ नन्हें पौधे यह संदेश देते हंै कि निंरतर सृजन अथवा निर्माण प्रकृति का शाश्वत नियम है।

विशेष:-

1. सृजन की पे्ररणा मनुष्य को अपने अंदर से प्राप्त होती है।

2. लेखक ने गेहूं के नन्हें पौधों के माध्यम से निरंतर कर्मरत रहने की प्रेरणा दी है।

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