निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
चढ़ चेतक पर तलवार उठा,
रखता था भूतल पानी को ।
राणा प्रताप सिर काट-काट,
करता था सफल जवानी को ।।
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियों में राणा प्रताप के युद्ध-कोशल और उनके पराक्रम का वर्णन किया गया है|
व्याख्या: पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे है की जब राणाप्रताप युद्धभूमि में तलवार उठाकर चेतक पर सवार होकर युद्ध करते थे तो ऐसा प्रतीत होता था, मनो वह अपने अन्दर भूतल में स्थित पानी मतलब असीम शोर्य को धारण कर रहे हो | युद्ध करते हुए राजा के अन्दर असीमित साहस दिखाई पड़ रहा था| राणाप्रताप ऐसे पराक्रमी वीर थे जो शत्रु सेना के सिर काट-काटकर अपनी जवानी का वास्तविक परिचय देते थे |
काव्यगत-सौन्दर्य
कवि ने देश गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन किया है|
रस-वीर रस |
छंद-मुक्त , तुकान्त
अलंकार- श्लेष
शैली-ओजपूर्ण
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
ऐसा रण, राणा करता था,
पर उसको या सन्तोष नहीं ।
क्षण-क्षण आगे बढ़ता था वह,
पर कम होता था रोष नहीं ।।
कहता था लड़ता मान कहाँ,
मैं कर लूँ रक्त-स्नान कहाँ ?
जिस पर तय विजय हमारी है,
वह मुगलों का अभिमान कहाँ ?