Hindi, asked by ritik575, 9 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए

या अनुरागी चित की, गति समुझै नहिं कोइ।
ज्यौं-ज्यौं बूड़े स्याम रँग, त्यौं-त्यौं उज्जलु होइ ।।​

Answers

Answered by anitasingh0955
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Answer:

प्रसंग- प्रस्तुत दोहे में कवि ने बताया कि श्री कृष्ण के प्रेम के मन की मलंता और कलुषता दूर हो जाती हैं।

व्याख्या-

इस दोहे के माध्यम से बिहारी लाल जी अपने आराध्य श्री कृष्ण की भक्ति का वर्णन करते हुए कहते हैं कि प्रेम और अनुराग से भरे हुए इस मन की गति को समझना अत्यंत ही कठिन है। इसकी गति बहुत ही विचित्र है क्योंकि यह मन कभी तो श्री कृष्ण की भक्ति में डूबता है, तो कभी यह सांसारिक मोह माया की ओर भागता है।जब प्रेम और अनुराग से भरा हुआ यह मन सांवले रंग के श्री कृष्ण की भक्ति में, जितना डूबता जाता है, उतना ही इस मन के अंदर की कलुषता और मलनता दूर हो जाती है और यह मन पवित्र और ज्ञान के प्रकाश से उज्जवलित होकर निष्कलुष हो जाता है।

काव्यगत-सौन्दर्य

1. कृष्ण की भक्ति में लीन होकर मन पवित्र हो जाता है इस भावना की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की गई हैं।

2. भाषा - ब्रज

3. शैली - मुकत

4. रस - शांत रस

5. छंद दोहा

Explanation:

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