Hindi, asked by Manisuman8760, 11 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए और काव्यगत सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए—
झूठे सुख को सुख कहैं, मानत हैं मन मोद ।
जगत चबैना काल का, कछु मुख में कछु गोद ।।

Answers

Answered by ranyodhmour892
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Answer:

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियां श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित कविता ‘गीत - अगीत’ से ली गई हैं।

संदर्भ : इन पंक्तियों में कवि ने  माना है कि प्रेम भाव में मौन रहने वालों का महत्व किसी प्रकार से भी कम नहीं है। 3 चित्रों में से प्रस्तुत पहले चित्र में नदी और गुलाब के रूपक से कवि ने अपने कथन की सार्थकता को प्रमाणित करने की कोशिश की है।

व्याख्या : नदी किनारे पर उगा हुआ एक गुलाब मन ही मन सोचता है कि भगवान यदि उसे भी स्वर प्रदान करता तो वह भी पतझड़ में मिलने वाली हताश और दुख को प्रकट कर पाता। वे भी संसार को बताता की विरह की पीड़ा कितनी दुखमय है पर वह ऐसा कर नहीं पाता।

(ख)

संदर्भ : इन पंक्तियों में कवि प्रेम के मौन और मुखर रूप में से किसी एक को श्रेष्ठ घोषित करना चाहता है पर वह ऐसा शब्दों में न कर शब्द चित्रों के द्वारा प्रकट करता है।

व्याख्या: सूर्य के निकलने के बाद सुनहरी बसंती किरणें जब पत्तों से छन छन कर नीचे आती है तो तोता खुशी से भर कर मधुर गीत गाता है किंतु तोती मौन है। उस के गीत मन में उमड़ कर भी बाहर नहीं आते।

(ग)

संदर्भ : इस पंक्ति में कवि ने गीत अगीत में अंतर स्पष्ट करने के लिए विभिन्न चित्र अंकित किए हैं। इन के माध्यम से मौन प्रेम को महत्वपूर्ण बताया है। नदी- गुलाब तथा तोता- तोती के चित्रों के द्वारा उसने प्रेमी प्रेमिका के प्रेम भाव को प्रस्तुत किया है।

व्याख्या : प्रेमिका एक नीम के पेड़ के नीचे चोरी चोरी छिपकर गीत सुनती रहती है और मन में सोचती है कि हे इश्वर! मैं भी अपने प्रेमी के गीत की एक कड़ी क्यों न बन गई?

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

Answered by shrutisharma4567
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