निम्नलिखित पद्याश की सप्रसंग व्या
कीजिए
संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हा सनुपाय मला?
समझो जगको निरासपमा,
पथूआप प्रशस्त को अपना।
अरिखलेश्वर अवललन को,
नर हो न निराश करो मन को
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கூடி வாழ்ந்தால் கோடி நன்மை
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