निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करते हुए इसके केन्द्रिय भाव स्पष्ट कीजिए।
क) (i) सिखवति चलन जसोदा मैया
अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरै पैया।
कबहुँक सुन्दर बदन बिलोकति, उर आनन्द भरि लेत बलैया।
कबहुँक कुल देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया
कबहुँक बल कौं टेरि बुलावति इति आँगन खेलौ दोउ भैया
सूरदास स्वामी की लीला, अति प्रताप बिलसत नंदरैया।
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I am not understand the language pls send me in English
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