निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
हम तो एक-एक कारी जाना कोई कहे तिनही को दो जग जिन नाहिन पहचाना एकै पावन एक ही पानी एकै जोति समाना एकै खाक गढै भाड़े़ एकै कोहरा साना जैसे भाभी कष्ट की काटेअगिनी न काटै कोई सब घटि अंतरी तू ही व्यापक धरै स्वरूपै साईं
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प्रसंग- लेखक ने यहां सभी को एक करने की बात कही हैं
व्याख्या- लेखक कहते हैं कि मैं तो एक करना जानता हैं, कोई कहता हैं जग दो हैं परंतु एक हवा एक पानी हमारे लिये ज्योति समान हैं यही जन्म यही मृत्यु एक बर्फ है जैसे भाभी कष्ट को कांटे आग नहीं काटता कोई औऱ सब को छोड़ वह सांई को याद करती हैं।
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