निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर
हे हरि। डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड़ लेना बनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक
मातृभूमि पर शीश चढाने
जिस पथ पर जाए वीर अनेक।
4. उपर्युक्त काव्याश का उचित शीर्षक लिखिए।
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5 रेखाकित शब्द इठलाऊँ' का अर्थ बताइए। 2
6. उपर्युक्त काव्यांश की मूल संवेदनाएँ लिखिए।
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