निम्नलिखित रोगों के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय बताइए -
(1) मधुमेह
(2) सिफलिस।
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☆ मधुमेह के लक्षण :-
- भूख और प्यास में वृद्धि
- बार-बार पेशाब आना और मुंह सूखना
- वजन में कमी और थकान
- सिरदर्द और चिड़चिड़ापन
- धीमे-धीमे घाव ठिक होना और धुंधली दृष्टि
- मतली और त्वचा में संक्रमण जैसे शरीर के क्षेत्रों में त्वचा का काला पड़ना कम हो जाता है (एकैंथोसिस नाइग्रीकन्स)
- सांस की गंध जो कि फ्रूटी, मीठा या एसीटोन गंध
- हाथ या पैर में झुनझुनी या सुन्नता
- रेट्रोग्रेड एजाकुलेशन और कम टेस्टोस्टेरोन (कम-टी)
- सेक्स ड्राइव में कमी (कामेच्छा में कमी) और यौन रोग और गतिहीन जीवन शैली (व्यायाम की कमी और / या शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होना) और पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन
- हाई ब्लडबप्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल
- धूम्रपान और अतिरिक्त शराब का सेवन
- नींद की कमी और हृदय रोग
- तंत्रिका क्षति और न्यूरोपैथी (तंत्रिका दर्द) और किडनी की बीमारी
- रेटिनोपैथी (आंख और या अंधापन में तंत्रिका क्षति) और स्ट्रोक
- पेरिफेरल वैस्कुलर रोग और खमीर संक्रमण l
☆ मधुमेह के प्रमुख कारण हैं:
- अगर आपके परिवार में किसी को पूर्व में मधुमेह है तो आपको या बीमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है l
- मोटापा मधुमेह का बहुत बड़ा कारण है, मोटे लोग मधुमेह के जल्दी शिकार हो जाते है ।
- शरीर में कैलोस्ट्राल की अधिक मात्रा होना या रक्त चाप के असामान्य होने से भी मधुमेहका खतरा अधिक बढ़ जाता है ।
- अधिक शरीरिक श्रम, थकान, मानसिक थकान, तनाव, आदि के कारण भी लोग मधुमेह के शिकार हो जाते है ।
- अधिक मीठा खाने से भी मधुमेह हो सकती है।
- जो लोग नियमित रूप से बाहर का खाना खाते है उन्हें मधुमेह होने की आशंका तीन गुना ज्यादा तक होती है ।
☆ मधुमेह से बचाव उपाय :-
- अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।
- कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें। सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये। इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए।
- दिन में तीन समय खाने की बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं।
- धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें।
- आफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें।
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☆ सिफलिस के लक्षण :-
1. प्राथमिक सिफलिस
- पीड़ारहित
- छोटे छाले
2. माध्यमिक सिफलिस
- बिना खुजली वाले चकत्ते जो शरीर के ऊपरी हिस्से से शुरू होते हैं और पूरे शरीर में फैल जाते हैं, जिसमें हथेलियां और तलवे शामिल हैं। चकत्ते खुरदरे, लाल या लाल भूरे रंग के हो सकते हैं।
- मुँह, गुदा और जननांग में मस्से जैसे छाले,
- मांसपेशियों में दर्द
- बुखार
3. अव्यक्त सिफलिस
अव्यक्त चरण कई वर्षों तक रह सकता है। इस समय के दौरान शरीर बिना लक्षणों वाले रोग का घर बन जायेगा।
4. तृतीयक (अंतिम) सिफलिस
- अंधापन
- बहरापन
- मानसिक बीमारी
- स्मरण शक्ति की क्षति
- नरम ऊतक और हड्डी को नुक्सान
☆ सिफलिस के कारण :-
यौन संपर्क में आने पर पैलिडम बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल जाता है। इस वजह से संक्रमण उपदंश (सिफलिस) का कारण बनता है। बैक्टीरिया आपकी त्वचा में लगी आम चोट या खरोंच श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से प्रवेश कर लेते हैं। उपदंश प्राथमिक व माध्यमिक चरण के दौरान अधिक संक्रामक हो जाते है। यह संक्रमण गर्भावस्था महिला के अजन्मे बच्चे को प्रभावित कर सकता है। सिफरीस संक्रमण दरवाजे के हैंडल को छूने या टायलेट सीट साँझा करने से नहीं फैलता है। उपदंश ठीक होने पर दोबारा अपने आप नहीं होता है। लेकिन संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से व्यक्ति को दोबारा हो सकता हैं।
☆ सिफलिस से बचाव उपाय :-
उपदंश (सिफलिस) में प्रारंभिक और माध्यमिक में उपचार व निदान करना आवश्यक होता है। इस चरण में मुख्य उपचार पेनिसिलिन है जो एक एंटीबायोटिक दवा की तरह काम करता है। अगर व्यक्ति को पेनिसिलिन से एलर्जी की समस्या है, तो एंटीबायोटिक दे सकते है।
- अगर आपको इस संक्रमण एक वर्ष से अधिक समय नहीं हुआ है, तो पेनिसिलिन का इंजेक्शन देकर रोका जा सकता है। यदि सिफरीस से प्रभावित होकर एक वर्ष से अधिक हो गया हो तो अधिक मात्रा में पेनिसिलिन की जरूरत पड़ सकती है।
- उपदंश से प्रभावित गर्भवती महिला के लिए पेनिसिलिन उपचार बतलाया गया है। जिन महिला को पेनिसिलिन से एलर्जी है उनको विसुग्रहीकरण की प्रक्रिया कर सकते है। नवाजत शिशु को एंटीबायोटिक देकर बचाया जा सकता है