निम्नलिखित सूक्ष्म अर्थ भेद युक्त शब्दों के अर्थ स्पष्ट कीजिए-आवश्यक
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शब्द-युग्म में दो स्वतन्त्र अर्थ वाले शब्द होते हैं, जो अलग-अलग रहने पर तो पृथक्-पृथक् अर्थ देते हैं, किन्तु जब उन शब्दों का युग्म बनाकर एक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है तो वे शब्द अपने अर्थों से भिन्न अर्थ देने लगते हैं; उदाहरणार्थ-‘दिन’ और ‘रात’ दो पृथक्-पृथक् अर्थ रखने वाले शब्द हैं, किन्तु जब इन शब्दों का युग्म बनाकर एक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है, तो ये दोनों शब्द अपने-अपने अर्थ को त्यागकर एक नवीन अर्थ का बोध कराने लगते हैं; जैसे—
लोग दिन में जागते हैं और रात को सोते हैं।
दिनेश ने रात-दिन कड़ी मेहनत की है।
यहाँ प्रथम वाक्य में ‘रात’ और ‘दिन’ अपने वास्तविक अर्थ को व्यक्त कर रहे हैं, किन्तु द्वितीय वाक्य में जब वे युग्म के रूप में प्रयुक्त हुए हैं तो वे अपने मूल अर्थ को छोड़कर एक नवीन अर्थ को व्यक्त कर रहे हैं। यहाँ ‘रात-दिन’ शब्द ‘निरन्तरता’ को व्यक्त कर रहा है। इस प्रकार शब्द-युग्म के रूप में एक नवीन अर्थबोधक शब्द की रचना हो गयी है।
शब्द-युग्मों की रचना-शब्द-युग्मों की रचना निम्नलिखित सात प्रकारों से की जाती है-
एक ही शब्द की पुनरुक्ति द्वारा,
सजातीय या समानार्थक शब्दों के द्वारा,
विलोम शब्दों के द्वारा,
सार्थक और निरर्थक शब्दों के द्वारा,
निरर्थक शब्दों के द्वारा,
परसर्गों के साथ शब्द की पुनरावृत्ति द्वारा,
समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों के द्वारा।। उपर्युक्त विधियों द्वारा निर्मित शब्द-युग्म जिन नवीन अर्थों का बोध कराते हैं, उन्हें वाक्य प्रयोग द्वारा भली प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।