Hindi, asked by rajninawal1981, 9 months ago

निम्नलिखित संकेत बिन्दुओं के अधार पर अनुच्छेद लिखिए।
'पेय जल की बढती समस्या
संकेत बिन्दु. प्रस्तावना – पेय जल की कमी-कारण - समाधान​

Answers

Answered by Arpita1678
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Answer:

here is your answer...

Explanation:

प्रस्तावना –

आबादी के तेजी से बढ़ते दबाव और जमीन के नीचे के पानी के अंधाधुंध दोहन के साथ ही जल संरक्षण की कोई कारगर नीति नहीं होने की वजह से पीने के पानी की समस्या साल-दर-साल गंभीर होती जा रही है.

सर्दियों में हालत कुछ सामान्य रहती है लेकिन जैसे जासे गर्मियों आती हैं पारा चढ़ने के बाद यह समस्या बढ़ने लगती है. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि कभी दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह चेरापूंजी में भी अब लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में लगभग 9.7 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं होता. लेकिन यह आंकड़ा महज शहरी आबादी का है. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां 70 फीसदी लोग अब भी प्रदूषित पानी पीने को ही मजबूर हैं. एक मोटे अनुमान के मुताबिक, पीने के पानी की कमी के चलते देश में हर साल लगभग छह लोग पेट और संक्रमण की विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर दम तोड़ देते हैं. अब जब 2028 तक आबादी के मामले में चीन को पछाड़ कर देश के पहले स्थान पर पहुंचने की बात कही जा रही है, यह समस्या और भयावह हो सकती है. एक और तो गांवों में साफ पानी नहीं मिलता तो दूसरी ओर, महानगरों में वितरण की कामियों के चलते रोजाना लाखों गैलन साफ पानी बर्बाद हो जाता है।

पेय जल की कमी-कारण -आखिर पानी की इस लगातार गंभीर होती समस्या की वजह क्या है? इसकी मुख्य रूप से तीन वजहें हैं. पहला है आबादी का लगातार बढ़ता दबाव. इससे प्रति व्यक्ति साफ पानी की उपलब्धता घट रही है. फिलहाल देश में प्रति व्यक्ति 1000 घनमीटर पानी उपलब्ध है जो वर्ष 1951 में 3-4 हजार घनमीटर था. 1700 घनमीटर प्रति व्यक्ति से कम उपलब्धता को संकट माना जाता है. अमेरिका में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति आठ हजार घनमीटर है. इसके अलावा जो पानी उपलब्ध है उसकी क्वालिटी भी बेहद खराब है. नदियों का देश होने के बावजूद ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह नहाने लायक तक नहीं है.

वर्ष 1984 में गंगा को साफ करने के लिए शुरू गंगा एक्शन प्लान के बावजूद ज्यादातर जगह यह नदी अब तक काफी प्रदूषित है. खेती पर निर्भर इस देश में किसान सिंचाई के लिए मनमाने तरीके से भूगर्भीय पानी का दोहन करते हैं. इससे जलस्तर तेजी से घट रहा है. कुछ ऐसी ही हालत शहरों में भी हैं जहां तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल जमीन के भीतर स्थित पानी के भंडार पर दबाव बढ़ा रहे हैं. आईटी सिटी के विकसित होने वाले गुड़गांव में अदालत ने पेय जल की गंभीर समस्या के चलते हाल में नए निर्माण पर तब तक रोक लगा दी थी जब तक संबंधित कंपनी या व्यक्ति पानी के वैकल्पिक स्रोत और उसके संरक्षण का प्रमाण नहीं देता.

समाधान-

. शिक्षा-जागरूकता

शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा बड़ी से बड़ी समस्या को हल करने में आसानी हो जाती जिसके पास पानी खोजने तथा उस को घर लाने का ही समय होता है उनको तो शिक्षित कर पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन बाकी की दुनिया जिसके पास फिलहाल पानी है उन को जागरुक करना बेहद जरूरी है उनके दिमाग में पानी की अनावश्यक उपयोग आने वाली पीढ़ी के लिए घातक हो सकता है पानी बचाने में मददगार हो सकता है

2. पानी पुनर्चक्रण के द्वारा

आज के इस टेक्नोलॉजी वाली युग में बहुत सारी तकनीकी जन्म ले रही है, जो पानी के पुनर्चक्रण (रीसाइकिल) यानी दोबारा उपयोग में लाने वाले लायक बदलने में सक्षम है। यह भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस्राइल इसका एक जीता-जागता उदाहरण है। लेकिन यह जरूर देखा जाना चाहिए कि पानी को पीने लायक बनाने के चक्कर में प्रकृति के दूसरे तत्वों को नुकसान ना पहुंचे।

3. कृषि सिंचाई पद्धति में बदलाव करके

कृषि में सिंचाई में काफी सारा पानी थक जाता है लेकिन जिस से उस क्षेत्र का भूजल स्तर लगातार गिरता जाता है लेकिन अगर इससे किसान ड्रिप पद्धति या झूम पद्धति अपनाए तो पानी को बचाया जा सकता है। फिर जब खेतों में पानी की खपत कम होगी तो पीने लायक पानी की बचत होगी।

4. कचरा निकालने का व्यवस्था करके

स्वच्छ पीने लायक जल की शुरुआत होती है एक व्यवस्थित कचरा निकासी के ढांचे से। क्योंकि बिना स्वच्छ वातावरण के हम स्वच्छ पानी की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसीलिए कचरा निकासी के लिए एक व्यवस्थित ढांचा बनाना बहुत जरूरी होता है।

5. जल संरक्षण करके

जल संरक्षण की दिशा में काफी कुछ किया जा सकता है जब बारिश होती है तो जल संरक्षण में कोई खास व्यवस्था ना होने की वजह से सारा पानी नालियों और नदियों के जरिए होते हुए समुद्र में चला जाता है। जिससे भूजल स्तर नही बढ़ पाता।

गांवों के बाहर बड़े- तालाब बनवाकर अगर उसी पानी को एकत्रित कर लिया जाय तो उससे भूजल स्तर सुधारने में काफी मदद तो मिलेगी ही साथ में उस पाने को सिंचाई में भी प्रयोग कर सकेंगे।

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