निम्नलिखित संकेत बिंदु के आधार पर अनुच्छेद लिखें ।
विषय: अशिक्षा की समस्या।
संकेत बिंदु :
• भारत में अशिक्षा की समस्या
• अशिक्षा के कारण
• अशिक्षा के प्रभाव - बेरोजगारी एवं गरीबी पर
• समस्या का उन्मुलन एवं सरकारी प्रशासन।
100 शब्दों मे अनुच्छेद लिखें
कृपया संकेत बिंदुओं को ध्यान मे रखकर अनुच्छेद लिखे।
Answers
Explanation:
शिक्षा की सतत उपेक्षा
स्वतंत्रता मिलने के बाद भी शिक्षा के प्रति कामचलाऊ सोच ही चलती रही। सतत उपेक्षा का परिणाम यह हुआ कि अभी तक हमारा देश शतप्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य भी नहीं प्राप्त कर सका है
देश में 75 प्रतिशत तक साक्षरता पहुंच सकी है, पर निरक्षरता में कमी जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात में नहीं हो पायी है।
2001 से 2011 के बीच सात वर्ष से ऊपर की जनसंख्या में 18.65 करोड़ का इजाफा हुआ, पर निरक्षरता में कमी 3.11 करोड़ की ही दर्ज की गई।
शिक्षा का अधिकार कानून 2010 में पास हुआ था। संविधान की व्यवस्था के अनुसार 6 से 14 वर्ष की आयु के बीच के सभी बच्चों को अनिवार्य तथा नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करना आवश्यक है, पर हम सफल नहीं हो पा रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि के समानांतर नामांकन में वृद्धि दर्ज नहीं होती और साक्षरता ज्यादातर सिर्फ दस्तखत करना सीखने तक सीमित है।
इसी से जुड़ी समस्या बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने वालों की है। गांवों में हजार में से 326 और शहरों में 383 लोग पढ़ाई छोड़ देते हैं।
2014 में 61 लाख बच्चे स्कूल से बाहर थे। पूर्व प्राथमिक शिक्षा का विस्तार बहुत सीमित है। जो है वह भी अधिकतर शहरों में है। मात्र एक प्रतिशत बच्चे ही इसमें जा पाते हैं।
माध्यमिक और उच्च शिक्षा के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। इनमें छात्र-अध्यापक अनुपात, अपेक्षित संसाधनों की कमी तथा अच्छे शिक्षक-प्रशिक्षण का अभाव प्रमुख हैं। इनसे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
सृष्टि निर्माण के समय पुरुष महिला सामान्य थे लेकिन सामाजिक परिवेश में महिला को पीछे कर दिया गया जबकि सफल पुरुष के पीछे एक महिला अवश्य होती है। उक्त बातें शनिवार को पद्म श्री सुधा वर्गीज ने संत जोवियर्स कालेज ऑफ एजुकेशन दीघा में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना विषय पर आयोजित कार्यशाला में नहीं।ड्ढr ड्ढr उन्होंने कहा कि देश में आज एक हजार पुरुष कर महिलाये और बिहार में महिलायें हैं। वहीं डा. फादर थॉमस पेसमालिल ने कहा कि आज हमार समाज में नारियों की स्थिति मानवता के माथे पर और हमार समाज के लिए कर्लक है। मंच संचालन करते हुए डा. शशि राव ने कहा कि आज के इस वैज्ञानिक युग में भी आधी आबादी की गंभीर उपेक्षा हो रही हैं। प्रशिक्षाणाथों रूपा दत्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया।