निम्नलिखित संस्कृत-गद्यांस का संदर्भ सहित हीन्दी में अनुवाद कीजिए—
वाराणस्यां प्राचीनकालादेव गेहे-गेहे विद्यायाः दिव्यं ज्योतिः द्योतते । अधुनाšपि अत्र संस्कृतवाग्धारा सततं प्रवहति, जनानां ज्ञानं च वर्द्धयति । अत्र अनेके आचार्याः मूर्धन्याः विद्वांसः वैदिकवाङ्मयस्य अध्ययने अध्यापने च इदानीं निरताः । न केवलं भारतीयाः अपितु वैदेशिकाः गीर्वाणवाण्याः अध्ययनाथ अत्र आगच्छन्ति, निःशुल्कं च विद्यां गृह्णन्ति । अत्र हिन्दूविश्वविद्यालयः, संस्कृतविश्वविद्यालयः, काशीविद्यापीठम् इत्येते त्रयः विश्वविद्यालयाः सन्ति, येषु नवीनानां प्राचीनानां च ज्ञानविज्ञानविषयाणाम् अध्ययनं प्रचलति ।
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संदर्भ:- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के "वाराणसी" पाठ से उद्धृत है |
प्रसंग:- इस गद्यांश में वाराणसी की ऐतिहासिकता तथा अवस्थति के विषय में बताया गया है |
हिन्दी अनुवाद:- वाराणसी में प्राचीन काल से ही घर-घर में विद्या की दिव्य ज्योति प्रकाशित होती रही है | आज भी यहां संस्कृत वाणी की धारा निरंतर प्रवाहित रहती है और लोगों को ज्ञान बढ़ाती है |
यहां पर अनेक आचार्य, उच्च कोटि के विद्वान, वैदिक साहित्य के अध्ययन और अध्यापन में आज भी रत हैं | केवल भारतवासी ही नहीं अपितु विदेशी भी संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए यहां आते हैं और निशुल्क विद्या ग्रहण करते हैं |
यहां पर हिंदू विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय हैं, जिनमें नवीन और प्राचीन ज्ञान विज्ञान के विषयों का अध्ययन चलता रहता है |
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प्र. अधोलिखितेषु सन्धिविच्छेदं रूपं पूरयित्वा सन्धेः नाम अपि लिखत-
यथा- अन्वेषणम् अनु + एषणम् - यण् सन्धि
i) तवैव- .......... + एव - .......
ii)नदीव - नदी + ..... - .......
iv)केऽपि - ..........+ अपि - .......
vi)अत्याचार:अति+ .......- .......
v) शयनम-.......+अनम् - .......
vi) यथोचितम् - 'यथा + ..... - .......
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