निम्नलिखित समस्त -- पदों का विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए :। मनमुटाव, स्वभावानुसार , पंच-- परमेश्वर , यथाशीघ्र |
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Answer:
⚘ उत्तर :-
★ मनमुटाव
- ➲ समास विग्रह = मन का मुटाव
- ➲ समास का नाम = तत्पुरुष समास
★ स्वभावानुसार
- ➲ समास विग्रह = स्वभाव के अनुसार
- ➲ समास का नाम = तत्पुरुष समास
★ पंच परमेश्वर
- ➲ समास विग्रह = पाँच परमेश्वरों का समूह
- ➲ समास का नाम = कर्मधारय तत्पुरुष
★ यथाशीघ्र
- ➲ समास विग्रह = जीतना शीघ्र हो
- ➲ समास का नाम = अव्ययीभाव समास है
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⚘ अधिक जानकारी :-
✳ समास -
समास शब्द दो शब्दों 'सम्' + 'आस' के मेल से बना है
जिसका शाब्दिक अर्थ है - संक्षिप्त कथन/शब्द।
समास की इस प्रक्रिया में शब्दों का विस्तार (संक्षिप्तीकरण) किया जाता है।
✳ समास के भेद -
समास के छ: भेद होते है-
- (1) तत्पुरुष समास
- (2) कर्मधारय समास
- (3) द्विगु समास
- (4) द्वन्द समास
- (5) बहुव्रीहि समास
- (6) अव्ययीभाव समास
❶ तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास के बारे में आपको बता दे की "तत्पुरुष समास में उत्तरपद प्रधान होता है एवं पूर्वपद गौण होता है।" उसको तत्पुरुष समास कहेंगे।
या जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -
→ राजकुमार — राजा का कुमार
→ तुलसीदासकृत — तुलसीदास द्वारा कृत
तत्पुरुष समास के भेद
- ★ कर्म तत्पुरुष - इस समास में ‘को’ के लोप से कर्म समास बनता है।
- ★ करण तत्पुरुष — समास में ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से करण तत्पुरुष बनता है।
- ★ सम्प्रदान तत्पुरुष — इस समास में ‘के लिए’ का लोप होने से सम्प्रदान समास बनता है।
- ★ सम्बन्ध तत्पुरुष — इस समास में ‘का’, ‘के’, ‘की’ आदि का लोप होने से सम्बन्ध तत्पुरुष समास बनता है।
- ★ अपादान तत्पुरुष — इस समास में ‘से’ का लोप होने से अपादान तत्पुरुष समास बनता है।
- ★ अधिकरण तत्पुरुष — इस समास में ‘में’ और ‘पर’ का लोप होने से अधिकरण तत्पुरुष समास बनता है।
❷ कर्मधारय समास
वह समास जिसका पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है, अथवा एक पद उपमान एवं दूसरा उपमेय का संबंध होता है, उसे कर्मधारय समास कहेंगे!
कर्मधारय समास का विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में ‘है जो’ या ‘के सामान’ आते हैं। जैसे:
→ महादेव — महान है जो देव
→ दुरात्मा — बुरी है जो आत्मा
❸ द्विगु समास
वह समास जिसका पूर्व पद संख्यावाचक (संख्या) विशेषण होता है तथा समस्तपद समाहार या समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे-
→ दोपहर — दो पहरों का समाहार
→ शताब्दी — सौ सालों का समूह
→ चौमासा — चार मासों का समूह
❹ द्वंद्व समास
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों एवं दोनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, या ‘एवं ‘ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, उस द्वंद्व समास कहेंगे! जैसे
→ अन्न-जल — अन्न और जल
→ अपना-पराया — अपना और पराया
❺ बहुव्रीहि समास
जिस समास के समस्तपदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं हो एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं। उसे बहुव्रीहि समास कहेंगे! जैसे-
→ गजानन — गज से आनन वाला
→ त्रिलोचन — तीन आँखों वाला
❻ अव्ययीभाव समास
वह समास जिसका पहला पद अव्यय हो एवं उसके संयोग से समस्तपद भी अव्यय बन जाए, उसे अव्ययीभाव समास कहेंगे! अव्ययीभाव समास में पूर्वपद प्रधान होता है।
→ आजन्म — जन्म से लेकर
→ यथामति — मति के अनुसार
→ प्रतिदिन — दिन-दिन
✳ समास−विग्रह −
सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाताहै
- जैसे- राज+पुत्र - राजा का पुत्र
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⚘ संबंधित अन्य प्रश्न :-
https://brainly.in/question/16185012
⚘ उत्तर :-
★ मनमुटाव
➲ समास विग्रह = मन का मुटाव
➲ समास का नाम = तत्पुरुष समास
★ स्वभावानुसार
➲ समास विग्रह = स्वभाव के अनुसार
➲ समास का नाम = तत्पुरुष समास
★ पंच परमेश्वर
➲ समास विग्रह = पाँच परमेश्वरों का समूह
➲ समास का नाम = कर्मधारय तत्पुरुष
★ यथाशीघ्र
➲ समास विग्रह = जीतना शीघ्र हो
➲ समास का नाम = अव्ययीभाव समास है
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⚘ अधिक जानकारी :-
✳ समास -
समास शब्द दो शब्दों 'सम्' + 'आस' के मेल से बना है
जिसका शाब्दिक अर्थ है - संक्षिप्त कथन/शब्द।
समास की इस प्रक्रिया में शब्दों का विस्तार (संक्षिप्तीकरण) किया जाता है।
✳ समास के भेद -
समास के छ: भेद होते है-
(1) तत्पुरुष समास
(2) कर्मधारय समास
(3) द्विगु समास
(4) द्वन्द समास
(5) बहुव्रीहि समास
(6) अव्ययीभाव समास
❶ तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास के बारे में आपको बता दे की "तत्पुरुष समास में उत्तरपद प्रधान होता है एवं पूर्वपद गौण होता है।" उसको तत्पुरुष समास कहेंगे।
या जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -
→ राजकुमार — राजा का कुमार
→ तुलसीदासकृत — तुलसीदास द्वारा कृत
तत्पुरुष समास के भेद
★ कर्म तत्पुरुष - इस समास में ‘को’ के लोप से कर्म समास बनता है।
★ करण तत्पुरुष — समास में ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से करण तत्पुरुष बनता है।
★ सम्प्रदान तत्पुरुष — इस समास में ‘के लिए’ का लोप होने से सम्प्रदान समास बनता है।
★ सम्बन्ध तत्पुरुष — इस समास में ‘का’, ‘के’, ‘की’ आदि का लोप होने से सम्बन्ध तत्पुरुष समास बनता है।
★ अपादान तत्पुरुष — इस समास में ‘से’ का लोप होने से अपादान तत्पुरुष समास बनता है।
★ अधिकरण तत्पुरुष — इस समास में ‘में’ और ‘पर’ का लोप होने से अधिकरण तत्पुरुष समास बनता है।
❷ कर्मधारय समास
वह समास जिसका पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है, अथवा एक पद उपमान एवं दूसरा उपमेय का संबंध होता है, उसे कर्मधारय समास कहेंगे!
कर्मधारय समास का विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में ‘है जो’ या ‘के सामान’ आते हैं। जैसे:
→ महादेव — महान है जो देव
→ दुरात्मा — बुरी है जो आत्मा
❸ द्विगु समास
वह समास जिसका पूर्व पद संख्यावाचक (संख्या) विशेषण होता है तथा समस्तपद समाहार या समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे-
→ दोपहर — दो पहरों का समाहार
→ शताब्दी — सौ सालों का समूह
→ चौमासा — चार मासों का समूह
❹ द्वंद्व समास
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों एवं दोनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, या ‘एवं ‘ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, उस द्वंद्व समास कहेंगे! जैसे
→ अन्न-जल — अन्न और जल
→ अपना-पराया — अपना और पराया
❺ बहुव्रीहि समास
जिस समास के समस्तपदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं हो एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं। उसे बहुव्रीहि समास कहेंगे! जैसे-
→ गजानन — गज से आनन वाला
→ त्रिलोचन — तीन आँखों वाला
❻ अव्ययीभाव समास
वह समास जिसका पहला पद अव्यय हो एवं उसके संयोग से समस्तपद भी अव्यय बन जाए, उसे अव्ययीभाव समास कहेंगे! अव्ययीभाव समास में पूर्वपद प्रधान होता है।
→ आजन्म — जन्म से लेकर
→ यथामति — मति के अनुसार
→ प्रतिदिन — दिन-दिन
✳ समास−विग्रह −
सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाताहै
जैसे- राज+पुत्र - राजा का पुत्र
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