निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कर समास का भेद लिखिए :
चौपाई, देहलता, दोपहर, मार्गव्यय, प्रेमातुर, शोकमग्न, शताब्दी, नीलकमल, दहीवड़ा, मृत्युंजय, दाल-चावल,
छोटा-बड़ा, पंचवटी, पथभ्रष्ट, निडर, यथाशक्ति, विषधर, गिरहकट, भरपेट, कालीमिर्च, नवरत्न, दोपहर, दशानन,
राम-लक्ष्मण, लंबोदर, कमलनयन, आनंदमग्न, यथावसर, भरसक, ग्रामगत, रसोईघर, कानाफूसी, पर्णशाला,
चौराहा, नीलगाय, गिरिधर।
Answers
चौपाई-चार पायों का समाहार-द्विगु समास
देहलता-देह रूपी लता -कर्मधारय समास
दोपहर-दो पहरों का समूह - द्विगु समास
मार्गव्यय-मार्ग के लिए व्यय -सम्प्रदान तत्पुरुष
प्रेमातुर-प्रेम के लिए आतुर-सम्प्रदान तत्पुरुष
शोकमग्न-शोक में मग्न -अधिकरण तत्पुरुष
शताब्दी-सौ वर्षों का समूह-द्विगु समास
नीलकमल-नीला है जो कमल -कर्मधारय समास
दहीवडा-दही में डूबा बडा-कर्मधारय समास
मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहि
दाल-चावल-दाल और चावल-द्वंद्व समास
छोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समास
पंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समास
पथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुष
निडर- बिना डर का-अव्ययीभाव समास
यथाशक्ति-शक्ति के अनुसार-अव्ययीभाव समास
विषधर- विष को धारण करने वाला अर्थात सांप-बहुव्रीहि समास
गिरहकट-गिरह को काटने वाला-कर्म तत्पुरुष
भरपेट-पेट भर के-अव्ययीभाव समास
कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समास
नवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमास
दशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समास
राम-लक्ष्मण-राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समास
लंबोदर-लंबा है जिसका उदर अर्थात गणेश-बहुव्रीहि समास
कमलनयन- कमल के समान नयन-कर्मधारय समास
आनंदमग्न-आनंद में मग्न-अधिकरण तत्पुरुष
यथावसर-अवसर के अनुसार-अव्ययीभाव समास
भरसक-शक्ति भर-अव्ययीभाव समास
ग्रामगत-ग्राम को गया हुआ-कर्म तत्पुरुष
रसोईघर-रसोई के लिए घर-सम्प्रदान तत्पुरुष
कानाफूसी-कान में फुस्फुसाहट-तत्पुरुष समास
पर्णशाला-पर्ण से निर्मित शाला-
चौराहा-चार राहों का समाहार-द्विगु समास
नीलगाय-नीली है जो गाय-कर्मधारय समास
गिरिधर-गिरि को धारण करने वाला है जो अर्थात श्रीकृष्ण-बहुव्रीहि समास
HELLO FRIEND.......... HERE YOU GO..........
1) चौपाई-चार पायों का समाहार-द्विगु समास
2) देहलता-देह रूपी लता -कर्मधारय समास
3) दोपहर-दो पहरों का समूह - द्विगु समास
4) मार्गव्यय-मार्ग के लिए व्यय -सम्प्रदान तत्पुरुष
5) प्रेमातुर-प्रेम के लिए आतुर-सम्प्रदान तत्पुरुष
6) शोकमग्न-शोक में मग्न -अधिकरण तत्पुरुष
7) शताब्दी-सौ वर्षों का समूह-द्विगु समास
8) नीलकमल-नीला है जो कमल -कर्मधारय समास
9) दहीवडा-दही में डूबा बडा-कर्मधारय समास
10) मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहि
11) दाल-चावल-दाल और चावल-द्वंद्व समास
12) छोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समास
13) पंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समास
14) पथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुष
15) निडर- बिना डर का-अव्ययीभाव समास
16) यथाशक्ति-शक्ति के अनुसार-अव्ययीभाव समास
17) विषधर- विष को धारण करने वाला अर्थात सांप-बहुव्रीहि समास
18) गिरहकट-गिरह को काटने वाला-कर्म तत्पुरुष
19) भरपेट-पेट भर के-अव्ययीभाव समास
20) कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समास
21) नवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमास
22) दशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समास
23) राम-लक्ष्मण-राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समास
24) लंबोदर-लंबा है जिसका उदर अर्थात गणेश-बहुव्रीहि समास
25) कमलनयन- कमल के समान नयन-कर्मधारय समास
26) आनंदमग्न-आनंद में मग्न-अधिकरण तत्पुरुष
27) यथावसर-अवसर के अनुसार-अव्ययीभाव समास
28) भरसक-शक्ति भर-अव्ययीभाव समास
29) ग्रामगत-ग्राम को गया हुआ-कर्म तत्पुरुष
30) रसोईघर-रसोई के लिए घर-सम्प्रदान तत्पुरुष
31) कानाफूसी-कान में फुस्फुसाहट-तत्पुरुष समास
32) पर्णशाला-पर्ण से निर्मित शाला-
33) चौराहा-चार राहों का समाहार-द्विगु समास
34) नीलगाय-नीली है जो गाय-कर्मधारय समास
35) गिरिधर-गिरि को धारण करने वाला है जो अर्थात श्रीकृष्ण-बहुव्रीहि समास
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