Hindi, asked by Atharvkamlapure, 6 hours ago

निम्नलिखित शब्दों को मानकवर्तनी के अनुसार लिखिए १)परमर्श= २) अपञ=​

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Answered by lakshitasolanki1675
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Answer:

खड़ी पाई वाले व्यंजनों के संयुक्‍त रूप परंपरागत तरीके से खड़ी पाई को हटाकर ही बनाए जाएँ। यथा:–

ख्याति, लग्न, विघ्न

कच्चा, छज्जा

नगण्य

कुत्‍ता, पथ्य, ध्वनि, न्यास

प्यास, डिब्बा, सभ्य, रम्य

शय्या

उल्लेख

व्यास

श्‍लोक

राष्ट्रीय

स्वीकृति

यक्ष्मा

त्र्यंबक

2.1.2 अन्य व्यंजन

2.1.2.1 क और फ/फ़ के संयुक्‍ताक्षर

संयुक्‍त, पक्का, दफ़्तर आदि की तरह बनाए जाएँ, न कि संयुक्त, (पक्का लिखने में क के नीचे क नहीं) की तरह।

2.1.2.2 ङ, छ, ट, ड, ढ, द और ह के संयुक्‍ताक्षर हल् चिह्‍न लगाकर ही बनाए जाएँ। यथा:–

वाङ्मय, लट्टू, बुड्ढा, विद्‍या, चिह्‍न, ब्रह्‍मा आदि। (वाङ्मय, बुड्ढा, विद्या, चिह्न, ब्रह्मा नहीं)

2.1.2.3 संयुक्‍त ‘र’ के प्रचलित तीनों रूप यथावत् रहेंगे। यथा:– प्रकार, धर्म, राष्ट्र।

2.1.2.4 श्र का प्रचलित रूप ही मान्य होगा। इसे ... (इसे मैं टाइप नहीं कर पा रहा हूँ। क्र में क के बदले श लिखा मान लें) के रूप में नहीं लिखा जाएगा। त+र के संयुक्‍त रूप के लिए पहले त्र और ... (इसे मैं टाइप नहीं कर पा रहा हूँ। क्र में क के बदले त लिखा मान लें) दोनों रूपों में से किसी एक के प्रयोग की छूट दी गई थी। परंतु अब इसका परंपरागत रूप त्र ही मानक माना जाए। श्र और त्र के अतिरिक्‍त अन्य व्यंजन+र के संयुक्‍ताक्षर 2.1.2.3 के नियमानुसार बनेंगे। जैसे :– क्र, प्र, ब्र, स्र, ह्र आदि।

2.1.2.5 हल् चिह्‍न युक्‍त वर्ण से बनने वाले संयुक्‍ताक्षर के द्‍‌वितीय व्यंजन के साथ इ की मात्रा का प्रयोग संबंधित व्यंजन के तत्काल पूर्व ही किया जाएगा, न कि पूरे युग्म से पूर्व। यथा:– कुट्‌टिम, चिट्‌ठियाँ, द्‌वितीय, बुद्‌धिमान, चिह्‌नित आदि (कुट्टिम, चिट्ठियाँ, द्‍‌वितीय, बुद्‍धिमान, चिह्‍नित नहीं)।

टिप्पणी : संस्कृत भाषा के मूल श्‍लोकों को उद्‍धृत करते समय संयुक्‍ताक्षर पुरानी शैली से भी लिखे जा सकेंगे। जैसे:– संयुक्त, चिह्न, विद्या, विद्वान, वृद्ध, द्वितीय, बुद्धि आदि। किंतु यदि इन्हें भी उपर्युक्‍त नियमों के अनुसार ही लिखा जाए तो कोई आपत्‍ति नहीं होगी।

2.2 कारक चिह्‍न

2.2.1 हिंदी के कारक चिह्‍न सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में प्रातिपदिक से पृथक् लिखे जाएँ। जैसे :– राम ने, राम को, राम से, स्त्री का, स्त्री से, सेवा में आदि। सर्वनाम शब्दों में ये चिह्‍न प्रातिपादिक के साथ मिलाकर लिखे जाएँ। जैसे :– तूने, आपने, तुमसे, उसने, उसको, उससे, उसपर आदि (मेरेको, मेरेसे आदि रूप व्याकरण सम्मत नहीं हैं)।

2.2.2 सर्वनाम के साथ यदि दो कारक चिह्‍न हों तो उनमें से पहला मिलाकर और दूसरा पृथक् लिखा जाए। जैसे :– उसके लिए, इसमें से।

2.2.3 सर्वनाम और कारक चिह्‍न के बीच 'ही', 'तक' आदि का निपात हो तो कारक चिह्‍न को पृथक् लिखा जाए। जैसे :– आप ही के लिए, मुझ तक को।

2.3 क्रिया पद

संयुक्‍त क्रिया पदों में सभी अंगीभूत क्रियाएँ पृथक्-पृथक् लिखी जाएँ। जैसे :– पढ़ा करता है, आ सकता है, जाया करता है, खाया करता है, जा सकता है, कर सकता है, किया करता था, पढ़ा करता था, खेला करेगा, घूमता रहेगा, बढ़ते चले जा रहे हैं आदि।

2.4 हाइफ़न (योजक चिह्‍न)

2.4.0 हाइफ़न का विधान स्पष्टता के लिए किया गया है।

2.4.1 द्‍वंद्‍व समास में पदों के बीच हाइफ़न रखा जाए। जैसे :– राम-लक्ष्मण, शिव-पार्वती संवाद, देख-रेख, चाल-चलन, हँसी-मज़ाक, लेन-देन, पढ़ना-लिखना, खाना-पीना, खेलना-कूदना आदि।

2.4.2 सा, जैसा आदि से पूर्व हाइफ़न रखा जाए। जैसे :– तुम-सा, राम-जैसा, चाकू-से तीखे।

2.4.3 तत्पुरुष समास में हाइफ़न का प्रयोग केवल वहीं किया जाए जहाँ उसके बिना भ्रम होने की संभावना हो, अन्यथा नहीं। जैसे :– भू-तत्व। सामान्यत: तत्पुरुष समास में हाइफ़न लगाने की आवश्यकता नहीं है। जैसे :– रामराज्य, राजकुमार, गंगाजल, ग्रामवासी, आत्महत्या आदि।

2.4.3.1 इसी तरह यदि 'अ-निख' (बिना नख का) समस्त पद में हाइफ़न न लगाया जाए तो उसे 'अनख' पढ़े जाने से 'क्रोध' का अर्थ भी निकल सकता है। अ-नति (नम्रता का अभाव) : अनति (थोड़ा), अ-परस (जिसे किसी ने न छुआ हो) : अपरस (एक चर्म रोग), भू-तत्व (पृथ्वी-तत्व) : भूतत्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की भी यही स्थिति है। ये सभी युग्म वर्तनी और अर्थ दोनों दृष्टियों से भिन्न-भिन्न शब्द हैं।

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