Hindi, asked by ojha44, 11 months ago

निम्नलिखित शब्दों के पारथ कोई रपयार
लाकरपाद बनाडण्तयार दुरई
हाए , चर्म, मान, मिल रोष निकित
अधीज, तंत्र, बल, दर्शन और योग
चल, मल, कुल, कुल और सचिव
वहर , राग आदि ।​

Answers

Answered by rakeshroshan79
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Answer:

chal mal bal mal nam pol lak uop hol

Answered by jksangani147
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Explanation:

योगदर्शन के अनुसार अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश पाँच क्लेश हैं। (अविद्याऽस्मिता रागद्वेषभिनिवेशा: पंच क्लेशा:, योगदर्शन २.३)। भाष्यकर व्यास ने इन्हें विपर्यय कहा है और इनके पाँच अन्य नाम बताए हैं- तम, मोह, महामोह, तामिस्र और अंधतामिस्र (यो. सू. १.८ का भाष्य)। इन क्लेशों का सामान्य लक्षण है - कष्टदायिकता। इनके रहते आत्मस्वरूप का दर्शन नहीं हो सकता।

अविद्या सभी क्लेशों का मूल कारण है। वह प्रसुप्त, तनु, विच्छिन्न और उदार चार रूपों में प्रकट होती है। पातंजल योगदर्शन (२.५) के अनुसार अनित्य, अशुचि, दु:ख तथा अनांत्म विषय पर क्रमश: नित्य, शुचि सुख और आत्मस्वरूपता की ख्याति ‘अविद्या’ है। दूसरे शब्दों में अविद्या वह भ्रांत ज्ञान है जिसके द्वारा अनित्य विषय, नित्य प्रतित होता है। अभिनिवेश नामक क्लेश में भी यही भाव प्रधान होता है। अशुचि को शुचि समझना अविद्या है। अर्थात्‌ अनेक अपवित्रताओं और मलों के गेह शरीर को पवित्र मानना अविद्या है। जैन विद्वान स्थान, बीज, उपहम्भ, निस्यंद, निधन और आधेय शौचत्व के कारण शरीर को अशुचि मानते हैं किंतु वे यह स्वीकार नहीं करते कि वह अविद्याग्रस्त है। नित्यता, शुचिता, सुख और आत्म नामक भ्रमों पर आश्रित होने के कारण अविद्या को चतुष्पदा कहा गया है। संतों ने इन्हीं चार पदों को ध्यान में रखकर अविद्या (माया) का गाय की उपमा दी हैं।

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