निम्नलिखित दोहों के भावार्थ स्पष्ट कीजिए:
(क) पान पुराना घी नया, और सुशीला नार ।
चौथी पीठ तुरंग की, चार स्वर्ग संसार ॥
(ख) रहिमन चुप हो बैठिए, देख दिनन का फेर ।
नीके दिन पुनि आएँगे, फिरत न लागे देर ॥
उन दोहों को उद्धृत कीजिए जिनका आशय है
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रहीमन चुप हो जाइये, देख दिन का फेर अच्छे दिन अभी आ जाएंगे, फिर देर नहीं लगेगी
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प्रथम दोहा गंग द्वारा रचित है एवं दुसरा दोहा रहीम द्वारा रचित है।
पान पुराना घी नया, और सुशीला नार । चौथी पीठ तुरंग की, चार स्वर्ग संसार॥
- पुराना पान, नया घी एवं सुधील नार अगर घर पर होते तो जीवन घोड़े की तेज़ रफ़्तार से दौड़ता है एवं संसार के चार पहर को स्वर्ग बनाता है।
हिमन चुप हो बैठिए, देख दिनन का फेर । नीके दिन पुनि आएँगे, फिरत न लागे देर॥
- जब कोई आपको सूना रहा है तो चुप बैठिए उसे प्रतिउत्तर देने की वजह अपना कार्य कीजिए। कवी कहते है की आज हमारा दिन नहीं है तो क्या हुआ कल ज़रूर आएगा।
#SPJ3
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