निम्नलिखित वाक्यों में से उद्देश्य और विधेय पृथक् कीजिए-
1. सब नर-नारियों ने उस संदर कार्यक्रम को ध्यान से देखा।
2. श्रोता कवि-सम्मेलन में शांतिपूर्वक बैठे रहे।
3. निराला ने प्रगतिवादी कविताओं को नया स्वर दिया।
4. भव्य समारोह देखकर मेरा मन खिल उठा।
5. सभी विद्यार्थियों ने शिक्षक-दिवस पर अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किा
6. सभी लोगों ने वह सुंदर दृश्य देखा।
7. चुनाव में कौन जीता?
8. मेरी बहन सरला अपनी सहेली के घर गई है।
9. पंजाब मेल स्टेशन पर आ चुकी है।
10. सुधा रामायण पढ़ रही है।
Answers
♦ वाक्य–
सार्थक पदोँ (शब्दोँ) के उस समूह को वाक्य कहते हैँ, जिसके द्वारा एक अर्थ या एक पूर्ण भाव की अभिव्यक्ति होती है। वाक्य सार्थक शब्दोँ का व्यवस्थित रूप है। शिक्षितोँ की वाक्य–रचना व्याकरण के नियमोँ से अनुशासित होती है।
वाक्य एक या एक से अधिक शब्दोँ का भी हो सकता है। भाषा की इकाई वाक्य है। छोटा बालक चाहे वह एक शब्द ही बोलता हो, उसका अर्थ निकलता है, तो वह वाक्य है। वाक्य–रचना मेँ प्रयुक्त सार्थक पदोँ के समूह मेँ परस्पर योग्यता, आकांक्षा और आसक्ति या निकटता का होना जरूरी है, तभी वह सार्थक पद–समूह वाक्य कहलाता है।
♦ वाक्य की परिभाषाएँ–
• आचार्य विश्वनाथ—“वाक्य स्यात् योग्यताकांक्षासन्निधिः युक्तः पदोच्चयः।” अर्थात्—“जिस वाक्य मेँ योग्यता और आकांक्षा के तत्त्व विद्यमान हो वह पद समुच्चय वाक्य कहलाता है।”
• पतंजलि—“पूर्ण अर्थ की प्रतीति कराने वाले शब्द–समूह को वाक्य कहते हैँ।”
• प्रो॰ देवेन्द्रनाथ शर्मा—“भाषा की न्यूनतम पूर्ण सार्थक इकाई वाक्य है।”
• कार्ल एफ सुंडन—“वाक्य बोली का एक अंश है अर्थात् श्रोता के समक्ष अभिप्रेत को, जो सत्य है, प्रस्तुत किया जाता है।”
♦ वाक्य के तत्त्व–
विचारोँ की अभिव्यक्ति का माध्यम भाषा है। वाक्य मेँ अभिव्यक्ति का तत्त्व होना आवश्यक है। वाक्य मेँ ध्वनि तथा लिपि उसके बाह्य रूप हैँ, शरीर हैँ। अर्थ उसके प्राण हैँ। शरीर व प्राण की तरह वाक्य मेँ अर्थ तत्त्व, ध्वनि तत्त्व होना चाहिए। वाक्य मेँ शब्दोँ का उचित क्रम होना चाहिए। इस प्रकार वाक्य–विन्यास मेँ निम्न तत्त्वोँ का समावेश आवश्यक है–
(1) सार्थकता–
वाक्य मेँ सदैव सार्थक शब्दोँ का ही प्रयोग होना चाहिए। निरर्थक शब्द तभी आते हैँ, जब वे वाक्य मेँ कुछ अर्थपूर्ण स्थिति मेँ होते हैँ, जैसे– बक–बक, अपने आप मेँ निरर्थक शब्द हैँ। जब ये शब्द किसी प्रश्नवाचक के साथ प्रयुक्त किए जाएँ, जैसे– ‘क्या बक–बक लगा रखी है?’ तो इन शब्दोँ मेँ सार्थकता आ जाती है।
(2) योग्यता–
वाक्य के शब्दोँ (पदोँ) का प्रसंग के अनुकूल भाव–बोध अर्थात् अर्थ ज्ञान कराने की क्षमता ही ‘योग्यता’ कहलाती है। वाक्य मेँ वाक् मर्यादा अथवा जीवन के अनुभव के विरुद्ध कोई बात नहीँ कही जानी चाहिए। यदि वाक्य मेँ व्यक्त अर्थ मेँ असंगति होगी, तो वाक्य अपूर्ण कहा जाएगा। जैसे–
1. माली आग से उद्यान सीँचता है।
2. हाथी को रस्सी से बाँधा है।
उक्त वाक्योँ मेँ पहले वाक्य मेँ योग्यता का अभाव है क्योँकि आग का कार्य जलाना है, उसमेँ सीँचने की योग्यता नहीँ होती। दूसरे वाक्य मेँ हाथी को रस्सी से बाँधने की बात भी अनुचित है क्योँकि वह लोहे की जंजीरोँ से बाँधा जाता है। अतः दोनोँ वाक्योँ मेँ भाव या अर्थ की असंगति है। अतः ये वाक्य नहीँ हैँ।
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