निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 100 - 120 शब्दों में लघु
कथा लिखिए
क) शत्रु से सावधान
ख) स्वदेश प्रेम
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Toggle navigation गीता भक्त साहित्य संगीत/कला तीर्थ/यात्रा हिन्दी टाइपिंग Contact शत्रु से सावधान रहने के विषय में राजा ब्रह्मदत्त और पूजनी चिड़िया का संवाद महाभारत शान्ति पर्व में आपद्धर्म पर्व के अंतर्गत 139वें अध्याय में शत्रु से सावधान रहने के विषय में राजा ब्रह्मदत्त और पूजनी चिड़िया के संवाद का वर्णन हुआ है, जो इस प्रकार है[1] भीष्म द्वारा ब्रह्मदत्त और चिड़िया के संवाद का वर्णन युधिष्ठिर से करना युधिष्ठिर ने पूछा- महाबाहो! आपने यह सलाह दी है कि शत्रुओं पर विश्वास नहीं करना चाहिये। साथ ही यह कहा है कि कहीं भी विश्वास करना उचित नहीं है, परंतु यदि राजा सर्वत्र अविश्वास ही करे तो किस प्रकार वह राज्य संबंधी व्यवहार चला सकता है? राजन! यदि विश्वास से राजाओं पर महान भय आता है तो सर्वत्र अविश्वास करने वाला भूपाल अपने शत्रुओं पर विजय कैसे पा सकता है? पितामह! आपकी यह अविश्वास-कथा सुनकर तो मेरी बुद्धि पर मोह छा गया। कृपया आप मेरे इस संशय का निवारण कीजिये। भीष्म जी ने कहा- राजन! राजा ब्रह्मदत्त के घर में पूजनी चिड़िया के साथ जो उनका संवाद हुआ था, उसे ही तुम्हारे समाधान के लिये उपस्थित करता हूँ, सुनो। काम्पिल्य नगर में ब्रह्मदत्त नाम के एक राजा राज्य करते थे। उनके अन्त:पुर में पूजनी नाम से प्रसिद्ध एक चिड़िया निवास करती थी। वह दीर्घकाल तक उनके साथ रही थी। वह चिड़िया ‘जीवजीवक” नामक विशेष पक्षी के समान प्राणियों की बोली समझती थी तथा तिर्यग्योनि में उत्पन्न होने पर भी सर्वज्ञ एवं सम्पूर्ण तत्त्वों को जानने वाली थी। एक दिन उसने रनिवास में ही एक बच्चा दिया, जो बड़ा तेजस्वी था; उसी दिन उसके सा