निम्नलिखित विषय पर अनुच्छेद लिखिए:-
दिनोंदिन बढ़ती महँगाई |
120-150 words ( class 7.)
Please answer this and I'll mark u as Brainliest.
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Answer:
महँगाई आज के युग में भीषण समस्या का रूप ले चुकी है. कभी प्याज का भाव बढ़ गया तो कभी दाल का. क्या आपने कभी उन लोगों के बारे में सोचा है जिनकी दैनिक मजदूरी सौ रूपये से भी कम हो और उसी कमाई में पांच लोगों का परिवार चलाना है, कैसे चलाते होंगे वह अपने परिवार? महँगाई के कारण बेचारे गरीब आदमी को तो अपनी मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी कर पाना दुष्कर हो गया है.
महँगाई बढने के पीछे कई कारण हैं. पहला कारण है तेजी से बढती जनसंख्या, क्योंकि लोग तो बढ़ते जाते हैं, परन्तु संसाधन सीमित हैं, दूसरा कारण है सरकार की अकुशल नीतियाँ, जिनके चलते खाद्यान्न गोदामों में पड़े सड़ते रहते हैं और जनता भूखों मरती रहती है. कालाबाजारी की वजह से जहाँ एक तरफ लोगों को अनाज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं वहीँ दूसरी ओर बड़े बड़े व्यवसायी इस अनाज को अपने गोदाम में जमा करके रखते हैं
महंगाई का ऐसा असर होता है कि पॉकेट में पैसों का बोझ बढ़ता जाता है और थैले में सामान कम होता जाता है. यदि खरीददार की क्रय शक्ति घट जाय तो महंगाई बढ़ जाती है. इसके बढ़ने से रुपयों का अवमूल्यन हो जाता है. यह एक विश्वव्यापी समस्या है लेकिन भारत में तो यह एक गंभीर समस्या है.
देखा जाय तो समाज का हर वर्ग आज मूल्य वृद्धि या मंहगाई की समस्या से त्रस्त है. लेकिन निम्न और मध्यम वर्ग के लोग इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं. महंगाई बढ़ने से लोग अपनी आवश्यकता में कटौती करने लगते हैं. जहाँ लोग चार किलो दूध रोज खरीदते हैं उसे कम करके दो किलो कर देते हैं. पेट्रोल की कीमत बढ़ने से लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं या फिर पैदल चलना शुरू कर देते हैं.
खेतिहर किसान अपने खाद बीज और अन्य खेती के सामनों में कटौती करते हैं जिससे उनकी पैदावार प्रभावित होने लगता है. यदि कोई पर्व त्यौहार आ जाए तो उसके बजट में भी कटौती करनी पड़ जाती है. इसका असर होली, दिवाली पर भी दीखने लगता है. हास्यास्पद तो तन लगता है जब भिखारी भी एक रुपया का भीख लेने से इनकार कर देता है. इसका असर व्यापक होता है. यह खान पान से लेकर रहन -सहन तक यानी जीवन के सभी आयामों को प्रभावित कर देता है.
Answer:
दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई से ग्रस्त व्यक्ति को मजबूर होकर अपनी जरूरतों से समझौता करना पड़ता है। एक आम व्यक्ति को अपने प्रतिदिन के जीवन में उपयोग होने वाली चीजों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है और ऊपर से बढ़ती महंगाई उसे और परेशान कर देती है।
बढ़ती महंगाई की एक वजह कालाबाजारी होती है। कुछ लोग अपने स्वार्थ के चलते प्रचुर मात्रा में अनाज के स्टॉक को अपने गोडाउन में सस्ते दामों पर खरीद कर रख लेते हैं और बाद में जब उस अनाज का मूल्य बहुत अधिक बढ़ जाता है तो उसे ऊंचे दामों पर बेच देते हैं। उनके इस प्रकार से लाभ कमाने का परिणाम अनेकों गरीबों एवं निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को सबसे अधिक भुगतना पड़ता है।
कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और जब तक सरकार इसे रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाएगी, तब तक ऐसा चलता ही रहेगा। आम जनता कालाबाजारी को रोकने के लिए एक कदम यह उठा सकती है कि जिस अनाज का मूल्य बहुत अधिक बढ़ जाए, उसे न खरीदे।
जब किसी अनाज की फसल की पैदावार पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती है, तो उससे भी उसका मूल्य अपने आप बढ़ जाता है। यह भी अनाज के महंगे होने का एक कारण होता है।
इन सभी के अतिरिक्त भ्रष्टाचार भी महंगाई के बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। सरकार को भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी कठोर कदम उठाने चाहिए, जिससे लगातार बढ़ रही महंगाई पर अंकुश लगे।
कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और जब तक सरकार इसे रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाएगी, तब तक ऐसा चलता ही रहेगा। आम जनता कालाबाजारी को रोकने के लिए एक कदम यह उठा सकती है कि जिस अनाज का मूल्य बहुत अधिक बढ़ जाए, उसे न खरीदे।
जब किसी अनाज की फसल की पैदावार पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती है, तो उससे भी उसका मूल्य अपने आप बढ़ जाता है। यह भी अनाज के महंगे होने का एक कारण होता है।
इन सभी के अतिरिक्त भ्रष्टाचार भी महंगाई के बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। सरकार को भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी कठोर कदम उठाने चाहिए, जिससे लगातार बढ़ रही महंगाई पर अंकुश लगे।
बढ़ती महंगाई का असर सबसे अधिक उस गरीब व्यक्ति पर पड़ता है, जिसकी प्रतिदिन की आय सौ रुपए भी नहीं होती है। परिस्थिति तब और भी अधिक विकट हो जाती हैं, जब उसका पूरा परिवार केवल उसी व्यक्ति पर आश्रित होता है। ऐसे में व्यक्ति आवश्यक सामान को खरीदने में भी असमर्थ हो जाता है।
बढ़ती महंगाई की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को इसने सबसे अधिक परेशान कर रखा है। अगर आम व्यक्ति अपनी जरूरत के सामानों में भी कटौती करेगा तो यह एक अत्यंत ही चिंता का विषय है और इस पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
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