निम्नलिखित विषय पर अनुच्छेद लेखन कीजिए।
- राष्ट्रभाषा -
संकेत बिंदु -
हर देश की अपनी भाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा मानने के कारण
हिंदी का प्राचीन रूप
हिंदी देश के आत्मा
Answers
Answer:
भारत एक विशाल देश है । इसमें अनेक जाति, धर्मवलंबी और अनेक भाषा-भाषी निवास करते हैं । हमारे गणतंत्रीय संविधान में देश को धर्म-निरपेक्ष घोषित किया गया है । इसीलिए विभिन्न धर्मावलंबी अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार धर्माचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं ।
ऐसी स्थिति में धार्मिक आधार पर देश में एकता स्थापित नहीं हो सकती । विभिन्न जातियों, धर्मावलंबियों और भाषा-भाषियों के बीच एकता स्थापित करने का एक सबल साधन भाषा ही है । भाषा में एकता स्थापित करने की अदभूत शक्ति होती है । प्राचीन काल में विभिन्न मत-मतांतरों के माननेवाले लोग थे, परंतु संस्कृत ने उन सबको एकता के सूत्र में जकड़ रखा था । उस समय संपूर्ण भारत में संस्कृत बोली, लिखी और समझी जाती थी ।
स्वराज-प्राप्ति के पश्चात् हमारे संविधान निर्माताओं ने इस सत्य की अवहेलना नहीं की थी । उन्होंने सर्वोसम्मति से हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर स्थापित किया था और यह इसलिए कि भारत के अधिक-से-अधिक लोगों की भाषा हिंदी थी तथा उसमें देश का संपूर्ण शासकीय कार्य और प्रचार-प्रसार आसानी से हो सकता था ।
संविधान सभा में हिंदी भाषा-भाषी भी थे और अहिंदी भाषा-भाषी भी । उसमें अहिंदी भाषा-भाषियों का बहुमत था । उन्हीं के आग्रह से यह भी निर्णय किया गया था कि पंद्रह वर्षों में हिंदी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी; परंतु आज तक यह निर्णय खटाई में पड़ा हुआ है ।
सन् १९६३ और ११६८ में भाषा संबंधी नीति में जो परिवर्तन किए गए हैं, उनके अनुसार हिंदी के साथ अंग्रेजी भी चल सकती है; पर वास्तविकता यह है कि अंग्रेजी के साथ हिंदी घसीटी जा रही है । ऐसी है राष्ट्रभाषा के प्रति हमारी आदर- भावना |
Explanation:
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चीनी भाषा के बाद हिंदी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत और विदेश में करीब 50 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं तथा इस भाषा को समझने वाले लोगों की कुल संख्या करीब 90 करोड़ है। हिंदी भाषा का मूल प्राचीन संस्कृत भाषा में है। इस भाषा ने अपना वर्तमान स्वरूप कई शताब्दियों के पश्चात हासिल किया है और बड़ी संख्या में बोलीगत विभिन्नताएं अब भी मौजूद हैं। हिंदी की लिपि देवनागरी है, जो कि कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त है। हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत से आए हैं। इसकी व्याकरण की भी संस्कृत भाषा के साथ समानता है। “हिंदी” भारत की राज(राष्ट्रीय) भाषा है. .
यह उल्लेख करना उचित होगा कि विदेशियों में भी भारत की धनी संस्कृति को समझने की रुचि बढ़ी है। यही वजह है कि कई देशों ने अपने यहां भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षण केंद्रों की स्थापना की है।
भारतीय धर्म, इतिहास और संस्कृति पर विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित करने के अलावा इन केंद्रों में हिंदी, उर्दू और संस्कृत जैसी कई भारतीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। वैश्वीकरण और निजीकरण के इस परिदृश्य में अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते व्यापारिक संबंधों को देखते हुए संबंधित व्यापारिक साझेदार देशों की भाषाओं की अन्तर–शिक्षा की जरूरत महसूस की जाने लगी है।