निम्नलिखित विषयो पर लगभग 80-100 शब्दों में अनुछेद लिखिए-
1. वरदान ही तो हैं विज्ञान
2. पुस्तकों से दोस्ती
3. कैसे निपटे बेरोजगारी से
4. समय : सफलता का मंत्र
5. मन के हारे हार है मन के जीते जीत
6. यदि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊ
Answers
1. वरदान ही तो हैं विज्ञान
विज्ञान मानव प्रदत्त ऐसा बरदान है जिसने मनुष्य को वह सब कुछ दिया है, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी। मनुष्य की सुख-सुंविधा के जितने भी साधन हो सकते थे शायद आज़ विज्ञान की कृपा से उसके मास उफ्तब्ध हैं। यातायात के समस्त साधन, कंप्यूटर, टेलीविजन, रेडियो, मोबाइल आदि सभी कुछ तो विज्ञान की ही देन हैं। सारा विश्व आज विज्ञान के क्रास्पा एक "ग्लोबल विलेज ’ क्या उभरा है। चिकित्सा के क्षेत्र में आज जो प्रगति हूई है, उसमें कंप्यूटर की भूमिका अहम् है। जो रोग असाध्य समझे जाते थे आज़ चिकित्सकों ने उन्हे साध्य बना दिया है। मनुष्य विज्ञान के उपकार से कभी उऋण नहीं हो सकता क्योकि विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान है।
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2. पुस्तकों से दोस्ती
पुस्तके हमारे जीवन में कीमती रत्नों से भी ज्यादा. महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। ये हमारे मन - मस्तिष्क को प्रकाशित करती हैं। श्रेष्ट और उच्चत्तम दर्ज. की पुस्तके मनुष्य , समाज तथा राष्ट का सही मार्गदर्शन कस्के उन्नति की और अग्रसर करती हैं। किसी भी युग तथा देशकाल को समझने में पुस्तकें ही अहम् भूमिका निभाती हैं I किसी भी विद्यावन के आचार -विचस्यों को हम पुस्तकों क्रे माध्यम सै पढकर अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित होते हैं। श्रेष्ठ पुस्तके व्यक्ति के लिए पथप्रदर्शक बनकर हर समस्या रने उबरने में सहायक सिचूध होती हैं। इस प्रकार पुस्तकों का निरंतर अध्ययन हमें समाज में परिवर्तन लाने में सहायता तथा प्रेरणा देता है, जन-जागृति में अहम् भूमिका निभाता है।
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3. कैसे निपटे बेरोजगारी से
बेरोजगारी की समस्या से तात्पर्य है कि जो लोग काम करना चाहत्ते हैं, उम्हें काम न मिल माना। यों तो बेरोजाग़री की समस्या विश्व के सभी देशों की ज्वलत समस्या है, पर हमारे देश में तो यह और भी भयानक रूप में मुह बाए खडी दिखाईं देती है। हमारे यहॉ इस समस्या का सबसे बड्रा कारण है-निरन्तर बढती जनसंख्या। इसके अलावा दोषपूर्ण शिक्षा-पदूधति दूसरा प्रमुख कारण है। आज भी हम अग्रेजी शिक्षा-पन्दूधति के सहारे आगे बढ, रहै हैं, जो क्लर्कों को जन्म देती है। इसीलिए जितने अशिक्षित बेरोजगार. हैं, उससे कही अधिक है - शिक्षित बेरोजगार.। बेकारी की समस्या से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा उपाय तो यही है कि शिक्षा को रोजगारोन्मुखी. बनाया जाए। वर्तमान सरकार ने 'स्किल- डेवलपरमेंट' का जो अभियान शुरू किया है, वह निश्चित ही बेरोजगारी की समस्या से निपटने में कारगर साबित होगा।
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4. समय : सफलता का मंत्र
जो समय `के महत्व को समझता है, उसी को समय भी महत्व देता है। समय का सही…सही उपयोग ही सफ्तता की सोढी पर क्रमबदूध तरीक से चढने में मदद करती है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, वह तो बद मुटठी मे' सै रेत की भाँति फिसलता ही चला,जाता है। उसका जितना अधिक सदुपयोग का लें, उतना ही उचित है अन्यथा पछतावा ही हाथ लफ्ता है। समय क अनुसार किया क्या कार्यं लाभदायक और लक्ष्य की तरफ पहली सीढी. चढने में सहायक सिद्ध होता है I सयम और समय-सारिणी ही समय के सदुपयोग को सार्थक बनाने में सहायक बाते हैं। किसी व्यक्ति का क्षण भर पीछे रहना उसे उसक लक्ष्य से कोसों दूर कर देता है। समय को धोखा. देनेवाला अकसर स्वयं क्रो ही धोका देता है। अत्त: व्यक्ति को समय के अनुसार अपनी दिनचर्या बनानी चाहिए।
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5. मन के हारे हार है मन के जीते जीत
मानव का मन संसार ' मैं सबसे चचल वस्तु है। वह कभी ऊचाइयो को छूने लगता है तो कभी गर्त में चला जाता है, कभी अच्छाइयों की षरत्काष्ठा तक जा पहुंचता है तो कभी बुराइयों की दलदल में चला जाता है, कभी त्याग और प्रेम के सोपान चढता है तो कभी स्वार्थ और घृणा के जाल में फंस जाता है I कहने का तात्पर्य यही है कि मन की दो स्थितियों होती हैं। आशा और निराशा के झूले पर झूलता मन कभी जीत की आशा से मनुष्य को कर्तव्य करने के लिए प्रेरित करता है तो कभी निराशा के कुहरे में फस्कार अकर्मण्य बना देता है। शरीर कितना ही दुर्बल क्यो' न हो यदि किसी ने मन मॅ ठान लिया तो असंभव भी संभव बन जाता है। अत: जरूरी यह है कि मनुष्य अपने मन में ‘ नकारात्मक सोच ' को स्थान न दे , जितनी सकारात्मक सोच होगी सफलता उत्तनी ही निकट होगी।
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6. यदि मैं प्रधानमंत्री बन जाऊ
प्रधानमत्री' बनना किसी के लिए भी गौरव की बात है, क्योकि किसी भी प्रजस्तात्रिक देश में प्रशासनिक दृष्टि से यह सर्वोच्च पद है। मैँ जानता हूँ कि प्रधानमत्री बनने के लिए मुझे संसदीय चुनाव में जीतना होगा तथा मेरे बहुमत प्राप्त दल को मुझे नेता के रूप में चुनना होगा। तब जाकर मैं प्रधानमंत्री बन सकूंगा हूँ। प्रधानमत्री बनने पर मैँ ईमानदार और कर्मठ मत्रियो की एक टीम बनाऊंगा और उम्हें निष्पक्ष होकर राष्टहित्त में कार्य काने के लिए प्ररित करूँगा I देश के आम आदमी की जिदगी" को कैसे खुशहाल बनाया जाए, यह मेरा सबसे बडा लक्ष्य होगा। शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीकी आदि सभी क्षेत्रो में देश अपने चरम पर पहुचें , यही मेरा उद्देश्य होगा। इसके अतिरिक्त अपराधियों को कठोरतम दड की व्यवस्था करूगा, पर यह सब मेरा सपना है और सपने हमेशा साकार नहीं होते यह मैं जानता हूं।
✿ अगर हम कहे की यह युग 'विज्ञान युग' है तो शायद यह कहना गलत नहीं होगा।आज विज्ञान हमारे जीवन का आधार बन चुका है।घर हो या दफ्तर,स्कूल हो या खेल का मैदान सब कुछ विज्ञान की ही दें है।मनुष्य अपने सुख-सुविधा के लिये नये-नये साधन बना रहा है।हमारे इस्तेमाल में आने वाली छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सब चीजें विज्ञान की ही दें है।विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना सरल बना दिया है की अब घर बैठे पढ़ाई,दफ्तर के काम सब हो जा रहे हैं।शायद अगर कहूँ तो हमारा जीवन विज्ञान के बिना संभव नहीं होगा।
✿ कहा जाता है कि जीवन एक बड़ी पुस्तक है। इसका प्रत्येक दिन एक-एक पृष्ठ की तरह है। पंक्ति-पंक्ति पर नए रहस्य प्राप्त होते रहते हैं। जिसे आप पुस्तक कहते हैं, वह कागज की सूखी, निष्प्राण कोई चीज नहीं है। पुस्तकें जीते-जागते जीवन की हलचल हैं। पुस्तकों के शब्द-शब्द में अनुभव की अमरता है; जीवन पथ की कठिनाइयों के हल हैं; सघन वृक्ष की शीतलता है; अमर विश्वास व महकते प्राण हैं; हृदय के सुरभित सुमन खिले हुए हैं और धरती को स्वर्ग बनाने वाले सूत्र होते हैं। उसमें आशा का सिलसिला हंस रहा है, तो उल्लास की रजत रश्मियां छिटक रही हैं। सच तो यह है कि जो ज्ञान हम अनेक वर्षों की मेहनत से प्राप्त करते हैं, वह पुस्तकों के माध्यम से हम आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
✿ बेरोजगारी किसी भी देश या समाज के लिए अभिशाप है।इससे एक और निर्धनता भुखमरी तथा मानसिक अशांति फैलती है तो दूसरी ओर युवाओं में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता बढ़ती है। बेरोजगारी एक ऐसा भयंकर विष हैं।जो संपूर्ण देश के आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को दूषित कर देता है तो उसके कारणों को खोजकर उसका निराकरण अत्यधिक आवश्यक है।बेरोजगारी से निपटने के लिए व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन, मशीनीकरण पर नियंत्रण, रोजगार के नए अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोक आदि उपायों को शीघ्रता से लागु किया जाना चाहिए।
✿ समय एक ऐसा शब्द जो संसार को अपने अन्दर समेटे हुए है।कहा जाये तो समय एक ऐसी अनमोल वस्तु है जिसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है।लेकिन जिसने इस समय के महत्व को समझा और उसके अनुसार कार्य किया,उसकी सफलता निश्चित होती है।समय अपने अनुसार बढ़ता रहता है।वह किसी का इन्तज़ार नहीं करता।किन्तु बुद्धिमान मनुष्य समय के ही साथ चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।समय का सदुपयोग हमें लक्ष्य के करीब लेके जाता है लेकिन वही अगर इसका दुरूपयोग किया जाये तो यह हमें लक्ष्य से मिलों दूर लेके चली जाती है।इसलिए समय का महत्व समझते हुए हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए।समय हमारे सफलता का मुल मंत्र है ।
✿ मनुष्य के जीवन में पल-पल परिस्थितीयाँ बदलती रहती है। जीवन में सफलता-असफलता, हानि-लाभ, जय-पराजय के अवसर मौसम के समान है, कभी कुछ स्थिर नहीं रहता। जिस तरह ‘इंद्रधनुष के बनने के लिये बारिश और धूप दोनों की जरूरत होती है उसी तरह एक पूर्ण व्यक्ति बनने के लिए हमें भी जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों से होकर गुजरना पड़ता है।‘ ।हमारे जीवन में सुख भी है दुःख भी है, अच्छाई भी है बुराई भी है। जहाँ अच्छा वक्त हमें खुशी देता है, वहीं बुरा वक्त हमें मजबूत बनाता है। हम अपनी जिन्दगी की सभी घटनाओं पर नियंत्रण नही रख सकते, पर उनसे निपटने के लिये सकारात्मक सोच के साथ सही तरीका तो अपना ही सकते हैं। कई लोग अपनी पहली असफलता से इतना परेशान हो जाते हैं कि अपने लक्ष्य को ही छोङ देते हैं। कभी-कभी तो अवसाद में चले जाते हैं।कहा गया है मन के हारे हार मन के जीते जीत. अर्थात दुनिया में वाही व्यक्ति विजयी होता है जिसने अपने मन को अपने आप को जीत लिया है. जो अपने मन को जीत नहीं पाता, वह अपनी इन्द्रियों का गुलाम बन जाता है, और वह सफलता से दूर चला जाता है.
✿ प्रधानमंत्री एक ऐसा पद जो देश के सर्वोच्च पदों में से एक है।प्रधानमंत्री पूरे देश का प्रधान होता है।देश के नागरिक उसे मतदान देकर उसे इस पद के चुनते हैं।'अगर मैं प्रधानमंत्री होता' यह मेरे लिये कहना शायद हास्यास्पद होगा।किन्तु यह मेरे लिये फक्र की बात होगी।मैं अगर देश का प्रधान होता तो निष्पक्ष और नि:स्वार्थ होकर पूरे देश की सेवा करता।देश के आम नागरिकों के लिये अनेकों कदम उठाता।देश की तरक्की,सुरक्षा का खास खयाल रखता।तथा देश में होने वाले अपराधों के लिये कड़े से कड़े कदम उठाता।क्योंकि देश की सेवा परम कर्तव्य हमारा परम कर्तव्य है।