निम्नलिखित विषयों पर निबंध लिखिए -
(ख) स्वस्थ जीवन में स्वच्छता का महत्व
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एक कहावत है ‘कुत्ता भी जब बैठता है तो पूंछ झाडक़र बैठता है।’ इसका अर्थ यह है कि जब कुत्ता किसी स्थान पर बैठता है तब सबसे पहले उसे पूंछ से साफ कर लेता है, अर्थात कुत्ता भी स्वच्छताप्रिय होता है। फिर मनुष्य को तो सफाई का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। वास्तव में, स्वच्छता जीवन में अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह सदैव स्वच्छता से रहे। अंग्रेजी में एक कहावत है ‘सत्य के बाद स्वच्छता का स्थान है।’
सफाई दो प्रकार की होती है। बाह्य और आंतरिक। बाह्य सफाई से प्रयोजन शरीर, वस्त्र, निवास आदि की स्वच्छता से है। आंतरिक स्वच्छता से तात्पर्य मन और हदय की स्वच्छता से है।इन दोनों में श्रेष्ठतर ‘आंतरिक’ स्वच्छता है। इसमें आचरण की शुद्धता जरूरी है। शुद्ध आचरण से मनुष्य का चेहरा तेजोमय होता है। सब लोग उसको आदर की दृष्टि से देखते हैं। उसके समक्ष प्रत्येक व्यक्ति स्वंय ही अपना मस्तक झुका लेता है। उसके प्रति लोगों में अत्यंत श्रद्धा होती है। बाह्य स्वच्छता में बालों की सफाई, नाखूनों की सफाई, कपड़ों की सफाई इत्यादि शामिल है। इसकी अवहेलना करके मनुष्य स्वच्छ नहीं रह सकता। इसकी उपेक्षा करने से बड़े दुष्परिणाम नजर आते हैं। मनुश्य रोगग्रस्त होकर नाना प्रकार के दुखों से पीडि़त रहता है। वह मनुष्य क्या कभी स्वस्थ रह सकता है, जो सर्वदा स्वच्छ जलवायु से वंचित रहता है? अत: यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य-रखा के लिए स्वच्छता अविार्य है। यह प्राय: सभी लोगों का अनुभव है कि जो मनुष्य गंदे रहते हैं, वे दुर्बल और रुज्ण होते हैं। जो मनुष्य स्वच्छ रहते हैं, वे हष्ट-पुष्ट और निरोग रहते हैं।
स्वास्थ्य के अतिरिक्त बाह्य सफाई से चित्त को प्रसन्नता भी मिलती है। जब कोई मनुष्य गंदे वस्त्र पहने रहता है तब उसका मन मलिन बना रहता है और उसमें आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है, परंतु यदि वही मनुष्य स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेता है तो उसमें एक प्रकार की स्फूर्ति और प्रसन्नता का संचरण हो जाता है। आपको यदि ऐसे स्थान पर छोड़ दिया जाए, जहां कूड़ा-करकट फैला हो, जहां मल-मूत्र पड़ा हो तो क्या आपका चित्त वहां प्रसन्न रहेगा? नहीं। क्यों? इसलिए कि आपको वहां दुख होगा, घृणा लगेगी।
बाह्य स्वच्छता से सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। एक स्त्री जो फटे, मैले-कुचैले वस्त्र धारण किए हुए है, उसकी ओर कोई देखता तक नहीं। परंतु यदि वही स्त्री स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेती है तो सुंदर दिखाई देने लगती है। धूल-धूसरित बनने की अपेक्षा स्वच्छ बालक सुंदर तथा प्रिय लगते हैं।
मनुष्य मात्र में स्वच्छता का विचार उ पन्न करने के लिए शिक्षा का प्रचार करना अनिवार्य है। शिक्ष्ज्ञा पाने से व्यक्ति स्वत: स्वच्छता की ओर प्रवृत हो जाता है। ध्यान रहे, बाह्य स्वच्छता का प्रभाव आतंरिक स्वच्छता पर भी पड़ता है। इसके अतिरिक्त आतंरिक स्वच्छता सत्संगति से मिलतीहै। सचमुच यह दुर्भाज्य ही है कि हममें से अधिकांश व्यक्ति स्वच्छता पर ध्यान नहीं दे पाते। स्वच्छता उत्तम स्वास्थ्य का मूल है।
Answer:
Explanation:
स्वस्थ मनोरंजन एवं ख़ाली समय को भरने के लिए इस्लाम व्यायाम एवं खेलकूद की सिफ़ारिश करता है। आप एक दिन में या एक सप्ताह में या एक महीने में अपना कितना समय व्यायाम एवं खेलकूद में बिताते हैं? दुर्भाग्यवश हमारा आधुनिक जीवन कुछ इस प्रकार का है कि व्यायाम करने के लिए हम कम ही समय निकाल पाते हैं। हालांकि यह कहा जा सकता है कि आज हमें किसी भी समय की तुलना में व्यायाम एवं कसरत की अधिक ज़रूरत है।
जैसा कि आप जानते हैं और निश्चित रूप से आपने अनुभव भी किया है कि मनुष्य एक काम को बार बार दोहराने से थक जाता है और उसे थकन दूर करने की ज़रूरत पड़ती है। विभिन्न प्रकार के व्यायाम न केवल शारीरिक थकन को दूर करते हैं बल्कि शरीर को स्वस्थ एवं शक्तिशाली बनाते हैं। इसलिए व्यायाम एवं खेलकूद न केवल वांछित है बल्कि कुछ अवसरों पर आवश्यक एवं अनिवार्य है। इसलिए कि व्यायाम पर ध्यान नहीं देना शरीर को गंभीर रूप से नुक़सान पहुंचा सकता है।
बुद्धि एवं धर्म की दृष्टि से व्यायाम शरीर के स्वास्थ्य एवं मज़बूती के लिए ज़रूरी हैं। जिस व्यक्ति का शरीर स्वस्थ, शक्तिशाली एवं तरो ताज़ा नहीं है वह बुद्धि और सही विचार का उपयोग कम ही कर पाता है। एक प्रसिद्ध मुहावरा है, स्वस्थ बुद्धि स्वस्थ शरीर में होती है, इसलिए कि मन व शरीर का परस्पर प्रभाव पुष्ट एवं निर्विरोध विषय है। आलस्य एवं शारीरिक निष्क्रियता शरीर को कमज़ोर करती है या बहुत अधिक मोटा बना देती है, ऐसे लोग मानसिक रूप से शांत एवं प्रफुल्लित नहीं रह सकते। ऐसे लोग सामान्य रूप से चिड़चिड़े, झगड़ालू, टाल मटोल करने वाले और अनैतिक विचार एवं बीमार सोच रखने वाले होते हैं। यह विषय उनके शरीर पर भी बुरा प्रभाव डालता है। इस्लाम शारीरिक शक्ती एवं स्वास्थ्य को विशेष महत्व देता है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) का कथन है, खेलो कूदो और मनोरंजन करो, इसलिए कि मुझे तुम्हारे धर्म में हिंसा एवं उदासीनता पसंद नहीं है।
hope it will help youuuu mate....