निम्नलिखित विधान को स्पष्ट कीजिए कथनी करनी एक समान जग में मिलता तब सम्मान
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कथनी करनी एक समान जग में मिलता तब सम्मान
व्यक्ति को जबां क्या मिली कि वह कभी बोलने से थकता नहीं है, जब तक आंखें खुली रहती हैं, तब तक वह बोलता ही रहता है और यही कारण है कि कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं आए, यह असंभव बात है। इसका मतलब यही हुआ कि उसकी कथनी और करनी में बड़ा ही नहीं बहुत बड़ा अंतर आ रहा है और यही कारण है कि वह परतंत्र होता जाता है, अपना सम्मान खोता जाता है, अपनी कद्र खोता जाता है, अपना वजूद खे देता है क्योंकि यदि व्यक्ति के पस सबसे महत्वपूर्ण और यौं कहें कि अनमोल कोई चीज है तो उसे जबान ही कहते हैं।
शब्द को ब्रह्म कहते हैं, एक शब्द जो मुंह से निकलता है, वह पूरे ब्रह्माण्ड में पहुंचता है, उसकी गूंज पूरे ब्रह्माण्ड में होती है, उसकी अपनी कीमत होती है और कीमत तभी होती है जब कथनी का सार हो, जब कथनी का कोई आधार हो, जब कथनी की जरूरत हो, जब कथनी में प्यार हो, जब कथनी में पूरा संसार हो, जब कथनी का अपना कोई आकार हो और जब कथनी, करनी के रूप में साकार हो।
लेकिन अफसोस कि बात है कि कथनी और करनी का अंतर दिन दुगना रात चौगुना बढ़ता ही जा रहा है। समाज में हर तबके के लोगों की कथनी और करनी में फासला बढ़ता जा रहा है, इस स्थिति को अच्छी कतई नहीं कहा जा सकता है।
व्यक्ति की कीमत उसकी कथनी से है, उसकी वाणी से है, उसके वादों से है, उसकी घोषणाओं से है, उसके इरादों से हैं, उसके संकल्पों से है। किसी को भी यह अच्छे से ध्यान होना चाहिए कि मैं जो कह रहा हूं, उसकी बहुत वैल्यू है, यह मेरा कमिटमेंट है इस पर लोग विश्वास करते हैं, इससे लोग आस करते हैं, इसलिए मैं वही बोलूं, वही किसी से वादा करूं, जिसको मैं अच्छे से, समय पर पूरा करूं और स्वयं के तथा लोगों के विश्वास पर खरा उतरूं।
आइए, ऐसा संकल्प करें कि मेरी जुबां के हर शब्द का अपना महत्व है, इसलिए वह यौं ही नहीं जाना चाहिए। अपनी कथनी और करनी में समानता बनाएं, समानता लाएं और खुद को खुद का सम्मान पाएं तथा लोगों से भी पूरा सम्मान पाएं, यही जीवन है, यही खुशी है और यही समृद्धि है।