History, asked by vansh7208, 10 months ago

निम्नलिखितगद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
हाथ पर हाथ रख कर बैठना मनुष्य के शरीर धर्म के विरुद्ध है। मानव-मन चक्की के समान है। जितना
चक्की में गेहूँ डालते जाओगे, उतना उससे आटा निकलता जाएगा। यदि गेहूँ नहीं डालोगे तो चक्की अपने को
पीसने लगेगी। बहुत कम लोग लोभ के कारण जुआरी शराबी बनते हैं, अधिकाश लोग कुछ काम न रहने के
कारण, समय बिताने के लिए जुए या शराब के व्यसन में पड़ जाते हैं। काम ना करना, आलस्य में पड़े रहना
देह-धर्म के विरुद्ध है। अतएव हमें अपने लिए काम चुन लेना चाहिए। यह काम हमारे मन, इच्छा, कार्यशक्ति
और स्वभाव के अनुकूल होना चाहिए। उसी से मनुष्य अधिक सफल हो सकता है। असफलता के दो कारण होते
हैं - स्वाभाविक कार्यशक्ति के विरुद्ध व्यवसाय चुनना और व्यवसाय कुशल हुए बिना कार्य शुरू कर देना। इन
दोनों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। भारत में असफलता का एक तीसरा कारण भी है। यहाँ लोग
मानसिक या मौखिक काम करना ही पसंद करते हैं। शारीरिक श्रमवाले व्यवसायों को यहाँ घृणा योग्य समझा
जाता है। एक मनुष्य तीन सौ रुपये का मुंशी या क्लर्क बनना पसंद कर लेता है, परंतु शारीरिक परिश्रम का
काम करके इससे कहीं बहुत अधिक कमाते हुए उसे लज्जा आती है। यह बाबू साहिबी दुर्भाग्य से दिनोंदिन
अधिक बढ़ रही है। कर्मेद्रियों को उपयोगी कार्य में लगाने में लज्जा कैसी?

(क) अधिकांश लोग व्यसनी क्यों बन जाते हैं?

(ख) मनुष्य
अधिक सफल कब हो सकता है?

(ग) आलस्य शरीर-धर्म के विरुद्ध क्यों है?

(घ) असफलता के दो कारणों का उल्लेख कीजिए।

(ड.) लोग किस प्रकार के लाभों को लज्जास्पद मानते हैं और क्यों?

(च) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए​

Answers

Answered by nidhi1814
2

Answer:

1-kaam na krne ke Karan.

2-jab kaam hmare man,ichha,or sbabhab ke anukool hoga tab.

3-kyoki hmara sarir chakki ke sman hai jb tk isme kuch dalte rhoge tb to ye pisegi or nhi daloge to ye khud ko hi pisegi mtlb kuch kaam na hone ke Karan admi byasni ho jata hai.

4-1-sbabhabik sakti ke birudh karya chunna,

2-byavsay kushal hue Bina karya suru KR Dena.

5- saririk shram Bale kaamo ko .

6-?

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