निम्ननिखित गद्यांश को धययिपूर्वक पढकर पूछे गए प्रश्ोां के उत्तर निखिए।
हशवािी का नाम प्रत्येक भारतीर् िनता िैl इनको मिान बनाने का श्रेर् समथय
गुरु रामदास को िैl समथय गुरु रामदास का िन्म सन् 1608 ई. में एक छोटे से ग्राम में
हुआ था l इन की माता का नाम राणुबाई था और इसके के हपता का नाम सूर्यिी पंत थाl
इनके बचपन का नाम नारार्ण था l प्रारंभ से िी र्े हववाि निीं करना चािते थेl हववाि
मंडप से िी र्े भाग गए थेl
घर छोड़कर नाहसक में एक गुफा मे रिकर तप करने लगेl एक पटवारी की
स्त्री को आशीवायद देकर उनके पहत को हिंदा कर देने की घटना के कारण उनका र्श
चारों ओर फै ल गर्ा l
बाद में हशवािी ने इन्हें अपना गुरु बनार्ा l हशवािी समस्त कार्य उनकी आज्ञा से
करते थेl हशवािी ने एक बार भीक मााँग ने पर सारा राज्य इनको दे हदर्ा l बाद मेंगुरु
के किने पर मंत्री के रूप में राज्य का कार्य करने लगेl इनमें अनेक आश्चर्य में डालने
वाली शक्तिर्ााँ थी l इन्होंने हशवािी की वीरता की परीक्षा शेरनी का दू ध मााँगकर की थी l
हशवािी के साथ गुरु रामदास का नाम िमेशा हलर्ा िाता िैl
प्रश् :
1. हशवािी को मिान बनाने का श्रेर् हकस गुरु का था?
2. समथय गुरु रामदास िी का िन्म किााँ तथा कब हुआ था?
3. हकस घटना के कारण गुरु रामदास का र्श चारों ओर फै ल गर्ा बताईए?
4. गुरु रामदास के माता हपता का नाम क्या था?
5. हशवािी ने गुरु रामदास को दान स्वरूप क्या हदर्ा था?
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Answers
Explanation:
राम दास या गुरू राम दास (पंजाबी: ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮ ਦਾਸ ਜੀ), सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब 'चौथे नानक' गुरू राम दास जी महाराज ने एक पवित्र शहर रामसर, जो कि अब अमृतसर के नाम से जाना जाता है, का निर्माण किया।
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Answer:
हशवािी का नाम प्रत्येक भारतीर् िनता िैl इनको मिान बनाने का श्रेर् समथय
गुरु रामदास को िैl समथय गुरु रामदास का िन्म सन् 1608 ई. में एक छोटे से ग्राम में
हुआ था l इन की माता का नाम राणुबाई था और इसके के हपता का नाम सूर्यिी पंत थाl
इनके बचपन का नाम नारार्ण था l प्रारंभ से िी र्े हववाि निीं करना चािते थेl हववाि
मंडप से िी र्े भाग गए थेl
घर छोड़कर नाहसक में एक गुफा मे रिकर तप करने लगेl एक पटवारी की
स्त्री को आशीवायद देकर उनके पहत को हिंदा कर देने की घटना के कारण उनका र्श
चारों ओर फै ल गर्ा l