निम्ननि रितत पद्घारा पढ़कर पृधै गए प्रस्त्री के डन्ट लिमिट
पाथा मैन वपन फिर से वरचपा केपी वर आल्या
उसकी मदन शर्ति देखकर मुझ में उब जीवन साया
मै भी अउसके साथ खेलती , स्वाती है तुतवाती है।
मिलकर उसके साथ स्वयं में भी बच्ची बन जाती है।
प्रस्तुत पधारा में कवयित्री किश्व अवश्या के बता रही है?
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प्रशंसा श्रम या कार्य के प्रति सम्मान व्यक्त करना भी है। तारीफ क्यों जरूरी है और यह कब और किस तरह की ...
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