Hindi, asked by shivilbg, 2 months ago

१. निम्ननि वितरलीका वयं पठित्वा प्रश्नान उतरत-
साहित्य संगीत कलाविहिनः, साक्षात्पशुः पृच्छविषापटी
तुणं न खादन्नपि जीवमान: तद्भागधेयं परम
पशूनाम् ।
एकपदेन उत्तरत-
2., तृणं खादन्नपि जीवमान: नीशा अस्ति?​

Answers

Answered by Abhisheksingh5722
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★ Explanation :↓

साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात नाख़ून और सींघ रहित पशु के समान है। और ये पशुओं की खुद्किस्मती है की वो उनकी तरह घास नहीं खाता।

Answered by barani79530
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Explanation:

साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः। तृणं न खादन्नपि जीवमानः तद्भागधेयं परमं पशूनाम्॥ ... जो साहित्य संगीत तथा कला से विहीन ...

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