Hindi, asked by tripathiatharva4, 8 months ago

'नामा तयाचा किंकर। तेणें रचिलें तें आवार।।' या ओळींतील काव्यसौंदर्य स्पष्ट करा.​

Answers

Answered by Anonymous
6

Answer:

आनंदलहरी भगवती भुवनेश्वरी (पार्वती) की स्तुति में विरचित 103 स्तोत्रों का संग्रह है जिसे आद्य शंकराचार्य की कृति कहा जाता है। इसका 'सौंदर्यलहरी' नाम विशेष प्रसिद्ध है। कुछ विद्वानों का अब यह मत हो चला है कि यह रचना बाद के किसी शंकराचार्य की है किंतु जनमत अभी इस पक्ष में नहीं है। काव्य की दृष्टि से तो यह रचना सौंदर्यपूरति है ही, तांत्रिक रहस्यों के समावेश के कारण इसमें दुरूहता भी भरी हुई है। आश्चर्य होता है कि आद्य शंकराचार्य ने अपनी 32 वर्षों की अल्पायु में अन्य कृतियों, यात्राओं आदि के बीच समय निकालकर इसकी रचना कैसे की। भारत के सभी मतानुयायी और भाषायी क्षेत्रों में इसका समादर है तथा कई विदेशी भाषाओं में भी इसका अनुवाद हो चुका है। भुवनेश्वरी (पार्वती) के स्तुतिरूप में कहे गए इन 103 श्लोकों में महान्‌ तांत्रिक ज्ञान निहित है।

Similar questions