निमनलिखित पद्यांश का भावार्थ लेखिए
माथे पे तू हो चंदन छाती पे तू हो माला;
जिह्ववा पे गीत तू हो मेरा ,तेरा ही नाम गाऊँ । ।
summary
' हे मातृभूमि इस कविता में कवि रामप्रसाद 'बिस्मिल जी ने मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम एवं भक्तिभाव को व्यक्त किया है । इस कविता के माध्यम से उन्होंने मातृभूमि की सेवा करने और देशहित में निछावर हो जाने की लालसा व्यक्त की है।
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Explanation:
जिह्ववा पे गीत तू हो मेरा ,तेरा ही नाम गाऊँ । । summary. ' हे मातृभूमि इस कविता में कवि रामप्रसाद 'बिस्मिल जी ने मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम एवं भक्तिभाव को व्यक्त किया है । इस कविता के माध्यम से उन्होंने मातृभूमि की सेवा करने और देशहित में निछावर हो जाने की लालसा व्यक्त की है।
Answer:
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला ;
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।
जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
-राम प्रसाद बिस्मिल
मातृभूमि किसी भी व्यक्ति के देश के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द है,जैसे कि किसी व्यक्ति का जन्म-स्थान ,उसके पूर्वजों का स्थान अर्थात् जिस स्थान पर उसकी कई पीढ़ियाँ रहती आ रही हों वो मातृभूमि कहलाती है।