नानी के मन में देश की आजादी के प्रति जुनून था
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देश की आजादी के लिए नानी का जुनून
Explanation:
नानी एक गृहिणी और पारंपरिक महिला थीं। वह साक्षर नहीं थी, लेकिन एक स्वतंत्र उत्साही व्यक्ति थी, जिसकी अपनी इच्छा थी। उसे अपने पति से प्रभावित आजादी का शौक था। लेकिन वह अपनी बेटी की शादी करने के लिए भी उत्सुक थी, जब वह 15 साल की थी। इसलिए उसने उसकी शादी प्यारेलाल शर्मा नामक एक स्वतंत्रता सेनानी से कर दी। उनका एक दृढ़ व्यक्तित्व था जिसने लेखक को प्रभावित किया।
¿ नानी के मन में देश की आजादी के प्रति जुनून था।
✎... ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका ‘मृदुला गर्ग’ की नानी के मन में देश की आजादी के प्रति जुनून था। नानी की शादी बेहद कम उम्र में ही हो गई थी और शादी के तुरंत बाद उनके पति यानी लेखिका के नाना नानी को छोड़कर बैरिस्टरी पढ़ने विदेश चले गए थे। नानी पारंपरिक विचारों वाली, कम पढ़ी-लिखीं और पर्दा करने वाली महिला थी, जो पारंपरिक रीति-रिवाजों को मानती थीं। उनके पति जब विदेश से पढ़कर लौटे तो वह विदेशी रंग-ढंग से रहने लगे, लेकिन नानी ने उनकी जीवनशैली पर कभी रोक-टोक नहीं की। जब बेहद कम उम्र में ही नानी मृत्यु के नजदीक पहुंच गई तो उन्हें अपनी बेटी 15 वर्षीय बेटी यानी लेखिका की माँ के विवाह की चिंता हुई और उन्होंने अपने पति से जिद करके अपने एक मित्र प्यारेलाल शर्मा को बुलाया और उनसे वचन लिया कि वह उनकी बेटी की शादी किसी देशभक्त व्यक्ति से करेंगे, जो देश के पारंपरिक रीति-रिवाजों और संस्कृति को मानने वाला हो। नानी को अपने पति पर भरोसा नहीं था जो विदेशी रीति रिवाजों को मानने लगे थे।
इस तरह लेखिका के मन में अपने देश के प्रति जुनून था, भले ही उन्होंने अपनी जिंदगी पति की छत्रछाया में बिना आजादी के गुजार दी, लेकिन उनके मन में देश के रीति-रिवाजों संस्कृति के प्रति सम्मान तथा देश की आजादी के प्रति जुनून था।
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