CBSE BOARD XII, asked by haguukumar325, 6 hours ago

नृपः इत्यर्थे अत्र किम् पंद प्रयुक्तम् ?


in sanskrit​

Answers

Answered by Harapriya78468
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प्रस्तावना

महाकवियों की सूक्तियाँ अथवा सुभाषित हमारे जीवन में पाथेय के समान सहायता करते हैं तथा सन्मार्ग दिखाते हैं। विपत्ति में पड़े मानव इन सुभाषितों से आश्वासन पाते हैं तथा प्रेरणा ग्रहण करते हैं। संस्कृत साहित्य हज़ारों अति मधुर वचनों से अच्छी प्रकार सुशोभित है। जीवन के हर क्षेत्र में प्रेरणादायी ये सुभाषित साहित्य में आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।

पाठ-संदर्भ

प्रस्तुत पाठ में कुछ अमृतवर्षी मधुर वचनों का संकलन किया गया है। कुल छह पद्य हैं। प्रथम पद्य ‘सुभाषितरत्नभाण्डागारम्’ से लिया गया है। दूसरा पद्य महाकवि भास के नाटक ‘कर्णभारम्’ से लिया गया है। तीसरा पद्य ‘चाणक्यनीतिः’ से लिया गया है। चौथे व पाँचवें पद्य का संकलन महाकवि भारवि विरचित ‘किरातार्जुनीयम्’ नामक महाकाव्य से किया गया है तथा अन्तिम पद्य भर्तृहरि विरचित ‘नीतिशतक’ से लिया गया है

पाठ-सार

प्रथम पद्य का भाव यह है कि वही लोग सब के वन्दनीय होते हैं जिनमें तीन गुण होते हैं-

१:जिनके मुख प्रसन्नता के निवास स्थान हैं,

२:जिनकी वाणियाँ अमृत बरसाती हैं, तथा

३:जिनके कार्य दूसरों की भलाई के लिए होते हैं।

४:दूसरे पद्य का भाव यह है कि परिवर्तनशील काल में सब कुछ बदल जाता है-विद्या विस्मृत हो जाती है, वृक्ष जड़ से उखड़ जाते हैं तथा जल से भरे स्थान जलहीन हो जाते हैं। ऐसा होने पर भी दो वस्तुएँ सदा स्थायी रहती हैं ।

दिया हुआ दान, तथा

यज्ञ की अग्नि में समर्पित आहुति।।

तीसरे पद्य का भाव यह है कि पुरुष की परीक्षा चार प्रकार से ली जा सकती है-

१:त्याग की दृष्टि से,

२:शील की दृष्टि से,

३:गुणों की दृष्टि से, तथा

४:कर्म की दृष्टि से।

चौथे पद्य का भाव यह है कि कपटपूर्ण आचरण करनेवाले व्यक्ति के साथ वैसा व्यवहार न करनेवाले सज्जन पुरुष पराभव को प्राप्त होते हैं, क्योंकि धूर्त लोग तो सदा छिद्रों पर ही प्रहार करनेवाले होते हैं अतः अपने रक्षाकवच के साथ शत्रु के साथ शत्रु जैसा व्यवहार करना चाहिए।

पाँचवें पद्य में कहा गया है कि राजा और मन्त्री को परस्पर विश्वास करके समान दृष्टि बनाकर व्यवहार करना चाहिए तो सब सम्पदाएँ प्राप्त होती हैं। ऐसा न करनेवाला मन्त्री तथा राजा अयोग्य होता है। राजा को मन्त्री का सदुपदेश सुनना चाहिए और मन्त्री को राजा के हित में काम करना चाहिए।

Answered by rddora2020
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