नेपोलियन योग के उपरांत यूरोप में क्या परिवर्तन हुआ
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1789 ई. में फ्रांस में क्रांति हुई। इस क्रांति ने एक विश्व पुरूष को जन्म दिया जिसे नेपोलियन बोनापार्ट के नाम से जाना जाता है। नेपोलियन ने अपने साहस एवं कार्यों से फ्रांस के प्रधान सेनापति का पद प्राप्त किया। तत्पश्चत् वह डायरेक्ट्री के शासन में चयनित हुआ। तत्पश्चात् नेपोलियन के समर्थित सदस्यों ने डायरेक्ट्री शासन का अंत करके काँसुलेट शासन की स्थापना की। इनमें 3 काँसुल नियुक्त हुए जिनमें प्रधान नेपोलियन था। प्रथम काँसुल बनने के बाद नेपोलियन के समक्ष बहुत कठिनाइयाँ थीं परन्तु उसने बड़ी योग्यता से इन समस्याओं को हल किया। इससे नेपोलियन की लाके प्रियता में अभतू पूर्व वृद्धि हुई ओर अंतत: 1804 ई. में सीनेट ने नेपोलियन को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।
सम्राट के रूप में नेपोलियन ने कई युद्ध लड़े और फ्रांस को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इंग्लैंड के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया। इंग्लैंड की आर्थिक शक्ति को कमजोर करने के लिए नेपोलियन ने महाद्वीपीय प्रणाली लागू की किन्तु अंतत: असफल हुआ किन्तु इससे इंग्लैंड के साथ फ्रांस के संबंध अत्यतं कटु हो गये और अब इंग्लैंड ने अन्य यूरोपीय राज्यों के साथ मिलकर नेपोलियन के पतन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी।
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नेपोलियन बोनापार्ट (15 अगस्त 1769 - 5 मई 1821) (जन्म नाम नेपोलियोनि दि बोनापार्टे) फ्रान्स की क्रान्ति में सेनापति, 11 नवम्बर 1799 से 18 मई 1804 तक प्रथम कांसल के रूप में शासक और 18 मई 1804 से 6 अप्रैल 1814 तक नेपोलियन I के नाम से सम्राट रहा। वह पुनः 20 मार्च से 22 जून 1815 में सम्राट बना। वह यूरोप के अन्य कई क्षेत्रों का भी शासक था।
इतिहास में नेपोलियन विश्व के सबसे महान सेनापतियों में गिना जाता है। उसने एक फ्रांस में एक नयी विधि संहिता लागू की जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है।
वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक था। उसके सामने कोई रुक नहीं पा रहा था। जब तक कि उसने 1812 में रूस पर आक्रमण नहीं किया, जहां सर्दी और वातावरण से उसकी सेना को बहुत क्षति पहुँची। 18 जून 1815 वॉटरलू के युद्ध में पराजय के पश्चात अंग्रज़ों ने उसे अन्ध महासागर के दूर द्वीप सेंट हेलेना में बन्दी बना दिया। छः वर्षों के अन्त में वहाँ उसकी मृत्यु हो गई। इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेज़ों ने उसे संखिया (आर्सीनिक) का विष देकर मार डाला।