नेपोलियन युग के उपरांत यूरोप में क्या परिवर्तन हुए?
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nepaliyan yog
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1)आर्थिक सुधार
2)धार्मिक सुधार
3)शिक्षा संबंधी सुधार
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आर्थिक सुधार
गृह कलह और विदेशी युद्धों से फ्रांस की आर्थिक स्थिति जर्जर हो गयी थी। आर्थिक उत्पादन, वृद्धि और गतिशीलता अवरूद्ध हो गयी थी। इसे सुधारने के लिए नेपोलियन ने कर पद्धति में सुधार किए। उसने करों में एकरूपता स्थापित की तथा व्यक्ति की आय व सामथ्र्य के अनुसार कर लगाने की व्यवस्था की। करों के निर्धारण और वसूली के लिए सुयोग्य ओर सक्षम अधिकारी नियुक्त किए गए। वित्त मंत्री के अधीन करों के लिए एक नवीन कार्यालय गठित किया गया। इससे राज्य की आय में वृद्धि हुई और आर्थिक स्थिरता आई।
धार्मिक सुधार
पादरियों के सिविल संविधान से केथाेि लकों और राज्य के बीच गहरे मतभदे हो गये थे। अनेक पादरियों ने इस सिविल संविधान का विरोध किया। नेपोलियन की धारणा थी कि लोगों का कोई एक धर्म अवश्य होना चाहिए। वह बिना धर्म के राज्य को “मल्लाह के बिना नौका” समझता था। इसलिए उसने धार्मिक मतभेद दूर करने के लिए एक ओर धार्मिक सहनशीलता और स्वतंत्रता की नीति अपनायी तो दूसरी ओर रोम के पोप पायस सप्तम से 1801-02 ई. में समझौता कर लिया।
न्याय और कानूनी संबंधी सुधार
नेपोलियन के पूर्व फ्रांस में विभिन्न प्रांतों में पृथक-पृथक प्रकार के कानून थे। वे जटिल और अस्पश्ट थे और उनमें एकरूपता का अभाव था। न्याय-व्यवस्था में अव्यवस्था, संदेह और भ्रम व्याप्त था। न्याय-व्यवस्था और कानून के क्षेत्र में नेपोलियन का यह महत्व है कि उसने न्याय-व्यवस्था में निश्पक्षता लाने का और प्रचलित कानूनों में एकरूपता, सरलता, स्पश्टता लाने और उन्हें लिपिबद्ध करने का प्रयास किया। उसने इस प्रकार कानूनों का संग्रह कर फ्रांस के लिए विधि-संहिता तैयार की। नेपोलियन की इस विधि संहिता को नेपोलियन कोड कहा जाता है।
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शिक्षा संबंधी सुधार
प्रत्येक कम्यून में प्राथमिक विद्यालय स्थापित किए गए, जो प्रीफेक्ट और उप-प्रीफेक्ट की देख-रेख में सचालित हाते थे
माध्यमिक शालाएँ स्थापित की गयीं। उनमें लेटिन और फ्रांसीसी भाषा तथा विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी।
1808 ई. में पेरिस में इम्पीरीयल विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। इसका पाठ्यक्रम सरकार द्वारा निर्धारित किया गया। इसमें 5 विभाग थे- धर्मज्ञान, कानून, चिकित्सा, साहित्य और विज्ञान। इसके प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति नेपोलियन ने की।