निर्भय का समास विग्रह aur bhed
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निर्भय का समास विग्रह इस प्रकार होगा...
निर्भय — बिना भय के
समास — अव्ययीभाव समास
Explanation:
निर्भय में अव्ययी भाव समास होगा। अव्ययी भाव समास में प्रथम पद प्रधान होता है, और एक अव्यय होता है, जिसके प्रभाव से समस्त पद अव्यय बन जाता है।
जब दो या दो से अधिक पदों को जोड़कर एक नया शब्द बनाया जाता है, तो उस नये शब्द को ‘समास’ कहते हैं। इस नये शब्द का अर्थ मूल शब्दों के अर्थ से भिन्न सकता है, या मूल शब्दों के अर्थ को नया विस्तार मिलता है। समासीकरण द्वारा बनाये गये शब्द को उसके मूल शब्दों में पृथक कर देना ‘समास विग्रह’ कहलाता है।
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Explanation:
मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन। जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥
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