निर्भय में उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए।
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नेर +भय
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उपसर्ग = नि
मूल शब्द= भय
Explanation:
उपसर्ग =नि
मूल शब्द= भय
उपसर्ग ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं। उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है - किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। उदाहरण: प्र + हार = प्रहार, 'हार' शब्द का अर्थ है पराजय।
उपसर्ग = उपसृज् (त्याग) + घञ्। जैसे - अ, अनु, अप, वि, आदि उपसर्ग है। उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) इसका अर्थ है- किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं।
इन शब्दों का निर्माण दूसरे शब्दों से नहीं होता। जैसे- नाक, कान, मुँह, पेट आदि। इन शब्दों के शब्दांश सार्थक नहीं होते। अत: ये शब्द मूल हैं।
शब्दांश या अव्यय जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ बनाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के साथ जुड़कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ मतलब लाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।
#SPJ3