निर्भय स्वागत करो मृत्यु का,
मृत्यु एक है विश्राम-स्थल|
जीव जहाँ से फिर चलता है,
धारण कर नव जीवन संबल|
मृत्यु एक सरिता है, जिसमें
श्रम से कातर जीव नहाकर
फिर नूतन धारण करता है,
काया रूपी वस्त्र बहाकर|
२.१) मृत्यु को विश्राम-स्थल कहा गया है क्योंकि - *
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क) मृत्यु के बाद व्यक्ति हिल-डुल नहीं सकता है|
ख) जीवन का एक क्रम रुककर दूसरा क्रम शुरू होता है|
ग) मृत्यु के बाद कोई जिंदा नहीं होता है|
२.२) कवि ने मृत्यु की तुलना किससे की है? *
1 point
क) सरिता से
ख) तालाब से
ग) निडरता से
२.३) मृत्यु रूपी सरिता में नहाकर जीव में क्या हो जाता है? *
1 point
क) डर की समाप्ति
ख) मंजिल पाने की चाह
ग) नवीनता का संचार
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निर्भय स्वागत करो मृत्यु का,
मृत्यु एक है विश्राम-स्थल|
जीव जहाँ से फिर चलता है,
धारण कर नव जीवन संबल|
मृत्यु एक सरिता है, जिसमें
श्रम से कातर जीव नहाकर
फिर नूतन धारण करता है,
काया रूपी वस्त्र बहाकर
१) मृत्यु को विश्राम-स्थल कहा गया है क्योंकि...
✔ ख) जीवन का एक क्रम रुककर दूसरा क्रम शुरू होता है|
२) कवि ने मृत्यु की तुलना किससे की है?
✔ क) सरिता से
३) मृत्यु रूपी सरिता में नहाकर जीव में क्या हो जाता है?
✔ ग) नवीनता का संचार
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Answer:
kavya saundraya batayi
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