नारी को आजादी मिलनी चाहिए या नहीं इस विषय में अपने विचार लिखिए
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महिलाओं को अपने फैसले खुद लेने हैं इस बीच किसी को बाधा नही बनना चाहिए. नारी के लिए सुरक्षा और सुविधा जुटाते रहने के कारण ही पुरुषवादी समाज को मान्यता मिलती गई. इसलिए इस ढांचे को भी तोड़ना होगा. परिवार जरूरी है लेकिन कर्तव्य और अधिकार समान होना भी जरूरी है
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सदियों से नारी को एक वस्तु तथा पुरुष की संपत्ति समझा जाता रहा है। पुरुष नारी को पीट सकता है, उसके दिल और शरीर के साथ खेल सकता है, उसके मनोबल को तोड़कर रख सकता है, साथ ही उसकी जान भी ले सकता है। मानो कि उसे नारी के साथ यह सब करने का अघोषित अधिकार मिला हुआ है। मगर यह भी सच है कि अनेक नारियों ने हर प्रकार की विपरीत और कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करते हुए उन पर विजय प्राप्त की और इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। आज की बदली हुई तथा अपेक्षया अनुकूल परिस्थितियों में नारियां स्वयं को बदलने और पुरुष-प्रधान समाज द्वारा रचित बेड़ियों से स्वयं को आजाद करवाने हेतु कृतसंकल्प हैं।