Hindi, asked by vanajaboda56, 6 months ago

नारी के बिना समज कल्पना asambhav है।इस पर अपना विचार vyakth kijiye​

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Answered by TOSERIOUS
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NARI SAMAJ ME BAHUT YOGDAN DATI HA.

WE GHAR BHI SAMBHAL TI HA..

Answered by chhayayadav226
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Answer:

सृष्टि मे ईश्वर की श्रेष्ठ रचना मनुष्य है और मनुष्य में भी ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना नारी है। हमारे समाज में नारी जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त पूजनीय है। फिर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी। क्योंकि पाश्चात्य जगत का भोगवादी दृष्टिकोण ही समाज में स्त्री के जीवन की मूल समस्या है। जबकि नारी के बिना समाज में नव चेतना लाना कदापि संभव नहीं है। यह बात स्थानीय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की नगर इकाई द्वारा बांगकुआं टंकी स्थित आश्रम में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर “नारी द्वारा नवचेतना का उदय’ विषय पर बोलते हुए मुख्य वक्ता प्रो. डाॅ. केशव शर्मा ने मौजूद मातृ शक्ति के बीच कही।

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज मे नारी को दैवीय स्वरूपा माना गया है। आज ही नहीं बल्कि सृष्टि के प्रारंभ से ही गार्गी, मैत्रेयी, लोपा, मुद्रा, सावित्री, सरस्वती, महारानी, लक्ष्मीबाई जैसी महान विदुषियों ने समाज एवं संस्कृति को सुरक्षित रखने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। स्त्री जीवन को समग्रता में देखते हुए उसके मातृत्व गुण को उभारना होगा, तभी समाज व राष्ट्र में चेतना आ सकती है।

कार्यक्रम को नपाध्यक्ष रूपल सादानी, लायंस अध्यक्ष भावना वर्मा, पार्षद दीपमाला पुष्पद, डायरेक्टर सांत्वना सिंह यादव, नीता मकोडिया ने भी संबोधित किया। आश्रम संचालिका ब्रह्माकुमारी भाग्यलक्ष्मी बहन ने अतिथियों को ईश्वरीय सौगात भेंटकर सम्मान किया। इस अवसर पर आश्रम से जुड़े एके त्रिपाठी, ओपी दुबे, धर्मेंद्र वर्मा, राजेन्द्र जैन सहित बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ब्रह्माकुमारी आश्रम में मनाया गया महिला दिवस पर अतिथियों ने व्यक्त किए विचार

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