नारी के इतिहास एवं वर्तमान के बलिदानों में क्या अंतर है
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नारी के इतिहास एवं वर्तमान के बलिदानों में अंतर
नारी के इतिहास एवं वर्तमान के बलिदानों में क्या अंतर है?
नारी के इतिहास और वर्तमान के बलिदान में मुख्य अंतर यह है कि नारी का प्राचीन कालीन समय अच्छा रहा था। आरंभिक वैदिक काल में नारी को समान दर्जा प्राप्त था और वह पुरुष के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती थी। मध्यकाल में आते-आते नारी की स्थिति दयनीय होती गई। बाहरी आक्रांताओं के आक्रमणों कारण और इन आक्रांताओं द्वारा बलात्कार जैसी घटनाएं से बचने के लिए नारी को घर तक ही सीमित कर दिया गया और नारी की सामाजिक पिछड़ती चली गई।
इसी बीच नारी ने अपनी मुक्ति के लिये कई बलिदान किये। आज नारी को अपने ऊपर लगे बंधनों के मुक्ति के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। तब जाकर आज नारी स्वच्छंद होकर जीना सीख पायी है। हालाँकि नारी के प्रयास अभी भी जारी हैं, क्योंकि उसे पूर्ण रूप से मुक्ति अभी नही मिली है।