नारी के प्रति नाजियों के क्या दृष्टिकोण थे
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Explanation:
इस सवाल के कई जवाब पेश किए जाते रहे हैं : धार्मिक, ऐतिहासिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक और मार्क्सवादी। लेकिन कोई भी एक जवाब कभी संतोषजनक नहीं हो सकता। ऐतिहासिक जवाब कुछ इस तरह है- 1930 के दशक में जर्मन जनसंख्या के एक बड़े हिस्से ने एक ऐसे समाज में रहने की रजामंदी जताई, जो नफरत, जातीय श्रेष्ठता की अवधारणा और हिंसा पर आधारित थी। वे जिस व्यवस्था से बंधे थे, उसकी केंद्रीय धारणा यह थी कि यहूदी लोग हर उस चीज की नुमाइंदगी करते हैं, जो जर्मनों के खिलाफ है और इसलिए यहूदियों को खत्म कर दिया जाना चाहिए। यह धारणा दुनिया को देखने के एक नस्ली नजरिए से भी जुड़ी थी, जो जर्मनों को मास्टर रेस का हिस्सा मानती थी और यहूदियों को विनाशकारी भौतिक गुणों वाले एंटी रेस का। जब यहूदियों का भौगोलिक रूप से खात्मा संभव नहीं हो सका, तब उन्होंने सबसे कट्टर रास्ता अख्तियार किया, जो था- अंतिम हल।