निराकार कृष्ण ईश्वर का वर्णन किस प्रकार नहीं कर सकते
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ईश्वर की अनेक परिभाषाओं में से एक परिभाषा यह है कि जिसने इस समस्त जड़-चेतन जगत को बनाया है उसे ईश्वर कहते हैं। चेतन जगत से अभिप्राय प्राणियों की अनेक योनियां हैं जिनमें प्रत्येक शरीर में एक चेतन आत्मा विद्यमान है। ईश्वर एक अनादि, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी, अमर व अनन्त चेतन सत्ता है। यह सच्चिदानन्द स्वरूप है। ईश्वर की तरह जीवात्मा और प्रकृति का अस्तित्व भी अनादि एवं अमर है। ईश्वर एक है तथाजीवात्माओं की संख्या मनुष्य की अल्पज्ञ जीवात्मा की दृष्टि से असंख्य या अनन्त है परन्तु ईश्वर के ज्ञान में जीवात्माओं की संख्या गण्य हैं। जब ईश्वर की चर्चा करते हैं तो यह प्रश्न भी उपस्थित होता है कि ईश्वर साकार है या निराकार।
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The above answer is correct dear.........
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