निराला जी किस के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे?
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निराला वास्तव में हिंदी कविता के प्रमथ्यु थे. प्रमथ्यु, मानव जाति का जन्मदाता, जो मनुष्यों के लिए ओलिम्पिस पर्वत से अग्नि उतार लाया था; जिसने अन्याय के खिलाफ, न्याय के पक्ष में मनुष्यों का साथ दिया था! क्या निराला की साहित्यिक साधना भी ऐसी ही नहीं थी?
अपने रंग-रूप और डील-डौल में वास्तव में किसी ग्रीक देवता की तरह नजर आने वाले निराला में क्या वास्तव में ग्रीक देवता प्रमथ्यु की छाया नहीं थी? प्रमथ्यु ने मानवता के लिए असीम कष्ट सहे थे. निराला का कष्ट भी हिंदी जाति और उससे भी बढ़कर मनुष्यता को ऊपर उठाने के लिए सहा गया कष्ट था.
यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि अगर हिंदी को निराला नहीं मिले होते, हिंदी साहित्य वैसा नहीं होता, जैसा कि वह है. निराला ने हिंदी कविता को एक आग दी, जो आज तक जल रही है. प्रमथ्यु को देवताओं के सरपंच जीयस ने पर्वत से बांध देने की सजा दी थी. उसकी सजा में यह भी शामिल था कि एक गिद्ध दिन में उसके कलेजे का मांस खाएगा और रात में उतना ही मांस फिर बढ़ जाएगा. निराला ने भी हिंदी साहित्य के लिए कुछ ऐसी ही यातना सही थी.
निराला ने हिंदी के विष को पिया और उसे बदले में अमृत का वरदान दिया. 1923 ईस्वी में जब कलकत्ता से ‘मतवाला’ का प्रकाशन हुआ, उस समय (रामविलास शर्मा के अनुसार) निराला ने उसके कवर पेज के लिए दो पंक्तियां लिखी थीं:
अमिय गरल शशि सीकर रविकर राग-विराग भरा प्याला
पीते हैं, जो साधक उनका प्यारा है यह मतवाला
रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद के विचारों से वह अत्यधिक प्रभावित हुए।
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