Hindi, asked by amritbalodia47, 4 months ago

निराला की कविता उत्साह और रितु राष्ट्रीय कविता कन्यादान दोनों में जिस सामाजिक बदलाव की अपेक्षा की गई है उसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए​

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Answered by renusharma6672
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Answer:

समकालीन जनमत

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स्मृति

निराला की कविता मनुष्य की मुक्ति की कविता है

by उमा रागOctober 15, 201804908

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(महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (21 फ़रवरी-15 अक्टूबर) की पुण्यतिथि पर अपने लेख के माध्यम से उन्हें याद कर रहें हैं विवेक निराला)

निराला को अपने समय में ‘महाप्राण ’ कहा गया था और यह एकदम सही भी था क्योंकि उस पूरे दौर में एक कवि अपने समय के कई अल्पप्राण प्रतिमानों को चुनौती दे कर अपना महाप्राणत्व सिद्ध कर रहा था। अपने युग में कई तरह की आलोचनाओं और प्रत्यालोचनाओं को झेलते हुए इस कवि ने पहली बार ’मनुष्य की मुक्ति की तरह कविता की मुक्ति’ की अवधारणा प्रस्तुत की थी। शायद इसी लिए छायावाद के बाद के सभी काव्यान्दोलनों ने निराला को याद किया।

1896 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले की महिषादल रियासत में श्री रामसहाय तिवारी के घर जन्में सुर्ज कुमार ने स्वयं को ‘सूर्यकान्त’ के रूप में निर्मित किया। अवध क्षेत्र के उन्नाव जनपद के गढ़ाकोला गांव के मूल निवासी निराला जी को आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी ने हिन्दी के आधुनिक कवियों में ‘शताब्दी का कवि ’ कहा था। परवर्ती समय में इक्कीसवीं सदी के आगमन के साथ यह सिद्ध और सहज स्वीकार्य भी हो गया।

निराला का कवि-व्यक्तित्व छायावाद की अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करके हिन्दी की परवर्ती कविता की भूमिका तैयार करता है। यह एक ऐसे कवि की दुनिया है जिसमें कविता से मान्यताएं बन सकती हैं, मान्यताओं से कविता नहीं। भावना और बुद्धि की समन्वित उपस्थिति तथा रचना-प्रक्रिया में उनकी एकतानता ही वह आधार है जिससे निराला की कविता दीर्घजीवी भी होती है और कालजयी भी।

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