निराला की कविता उत्साह और ऋतुराज की कविता कन्यादान में सामाजिक बदलाव की अपेक्षा की गई| उसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए|
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प्रस्तुत कविता में कवि ऋतुराज ने माँ और बेटी के बीच होने वाली घटना का वर्णन किया है। जब एक माँ अपनी बेटी को शादी के बाद विदा करती है, तो उसे ऐसा लगता है, मानो उसके जीवन की सारी जमा पूँजी उससे दूर चली जा रही है। फिर उनका पुत्री-मोह उन्हें इस बात से भयभीत करता है कि उनकी बेटी नए घर में जा रही है, कहीं उसे कुछ परेशानी ना हो, या उसे कोई अत्याचार न सहना पड़े। इन सब के कारण माँ चिंतित होकर अपनी फूल-सी बेटी को भले-बुरे का पाठ पढ़ाने लग जाती है, जिसे जीवन में आने वाले दुखों का कोई बोध ही नहीं हैं, उसने सिर्फ अभी कुछ खुशियां ही देखी हैं और उन्हीं के सपने सजाए हैं।
अर्थात जब तक किसी लड़की की शादी नहीं होती, तब तक उसे घर में एक बच्ची की तरह बड़े लाड-दुलार से पाला जाता है। परन्तु, विदाई के वक्त अचानक से वह बड़ी लगने लगती है और उसकी माँ उसे सही गलत समझाने में लग जाती है।
- छाया के माध्यम से युवाओं को संबोधित। सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव की संभावना। सुलभ दरों और मूल्यों को अपनाकर पापों से मुक्त होना। सामाजिक बदलाव के लिए जरूरी है कि व्यक्तिगत सोच में बदलाव लाया जाए।
- गीत में बादल उत्तम कल्पना और क्रान्ति ज्ञान की ओर संकेत करते हैं। यह एक ओर पीड़ित और प्यासे लोगों के लाभ और लाभ को पूरा कर रहा है|
- और दूसरी ओर यह नई कल्पना और नए अंकुर के लिए विनाश, विद्रोह और क्रांति ज्ञान का संकेत देता है।
- कवि पल को छींटे मारने, छींटे मारने या बारिश करने के बजाय 'गर्जना' करने के लिए कहता है|
- 1 निराला एक क्रांतिकारी मंत्री थे। वे समाज में बदलाव लाना चाहते थे, इसलिए जनमानस में ज्ञान जगाने और उत्साह जगाने के लिए मंत्री ने बादल को हाजिर, मिजाज या बारिश न करने और 'गर्जना' करने को कहा है।
- जब परछाई अपने दिलों में बिजली की चमक लाती है और उन्हें बारिश कराती है, तो पृथ्वी पर रहने वाला हर प्राणी भी खुश और खुश महसूस करता है|
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