निरामिष का समास विगृह
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निर + अमिष
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निर+अमिष बनके निरामिष हो गया।simple
Answer:समास
‘समास’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है– संक्षिप्त करना। सम्+आस् = ‘सम्’ का अर्थ है– अच्छी तरह पास एवं ‘आस्’ का अर्थ है– बैठना या मिलना। अर्थात् दो शब्दोँ को पास–पास मिलाना।
‘जब परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दोँ के बीच की विभक्ति हटाकर, उन्हेँ मिलाकर जब एक नया स्वतन्त्र शब्द बनाया जाता है, तब इस मेल को समास कहते हैँ।’
परस्पर मिले हुए शब्दोँ को समस्त–पद अर्थात् समास किया हुआ, या सामासिक शब्द कहते हैँ। जैसे– यथाशक्ति, त्रिभुवन, रामराज्य आदि।
समस्त पद के शब्दोँ (मिले हुए शब्दोँ) को अलग–अलग करने की प्रक्रिया को 'समास–विग्रह' कहते हैँ। जैसे– यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार।
हिन्दी मेँ समास प्रायः नए शब्द–निर्माण हेतु प्रयोग मेँ लिए जाते हैँ। भाषा मेँ संक्षिप्तता, उत्कृष्टता, तीव्रता व गंभीरता लाने के लिए भी समास उपयोगी हैँ। समास प्रकरण संस्कृत साहित्य मेँ अति प्राचीन प्रतीत होता है। श्रीमद्भगवद्गीता मेँ भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है—“मैँ समासोँ मेँ द्वन्द्व समास मेँ हूँ।”
जिन दो मुख्य शब्दोँ के मेल से समास बनता है, उन शब्दोँ को खण्ड या अवयव या पद कहते हैँ। समस्त पद या सामासिक पद का विग्रह करने पर समस्त पद के दो पद बन जाते हैँ– पूर्व पद और उत्तर पद। जैसे– घनश्याम मेँ ‘घन’ पूर्व पद और ‘श्याम’ उत्तर पद है।
जिस खण्ड या पद पर अर्थ का मुख्य बल पड़ता है, उसे प्रधान पद कहते हैँ। जिस पद पर अर्थ का बल नहीँ पड़ता, उसे गौण पद कहते हैँ। इस आधार पर (संस्कृत की दृष्टि से) समास के चार भेद माने गए हैँ–
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