"निर्मला"उपन्यास की संवाद योजना पर टिप्पणी कीजिए
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महिला-केन्द्रित साहित्य के इतिहास में इस उपन्यास का विशेष स्थान है। इस उपन्यास की कथा का केन्द्र और मुख्य पात्र 'निर्मला' नाम की १५ वर्षीय सुन्दर और सुशील लड़की है। निर्मला का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया जाता है। जिसके पूर्व पत्नी से तीन बेटे हैं। निर्मला का चरित्र निर्मल है, परन्तु फिर भी समाज में उसे अनादर एवं अवहेलना का शिकार होना पड़ता है। उसकी पति परायणता काम नहीं आती। उस पर सन्देह किया जाता है, उसे परिस्थितियाँ उसे दोषी बना देती है। इस प्रकार निर्मला विपरीत परिस्थितियों से जूझती हुई मृत्यु को प्राप्त करती है।
निर्मला में अनमेल विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त व मार्मिक कहानी है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। निर्मला के माध्यम से भारत की मध्यवर्गीय युवतियों की दयनीय हालत का चित्रण हुआ है। उपन्यास के अन्त में निर्मला की मृत्यृ इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। प्रेमचन्द ने भालचन्द और मोटेराम शास्त्री के प्रसंग द्वारा उपन्यास में हास्य की सृष्टि की है।
जैसा की हम जानते हैं, संवाद दो या उस से अधिक लोगों के बीच लिखित या बोले गए वार्तालाप के आधार और एक साहित्यिक और नाटकीय रूप है जो इस तरह के लेन-देन को दर्शाता है।
प्रेमचंद कृत उपन्यास ‘निर्मला’ महिला-केन्द्रित साहित्य में विशेष स्थान रखता है। मुख्य पात्र 'निर्मला' नाम १५ वर्षीय सुन्दर और सुशील लड़की है, जिसे एक अबला और दुर्बल स्त्री की तरह पेश किया गया है। उसका विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया जाता है।
‘निर्मला’ भारतीय समाज में विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त व मार्मिक कहानी है। उसका चरित्र निर्मल है, किन्तु फिर भी समाज से उसे अनादर एवं अवहेलना का शिकार होना पड़ता है। इस उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। प्रथम ‘यथार्थवादी’ तथा हिन्दी का प्रथम ‘मनोवैज्ञानिक उपन्यास’ कहा जा सकता है। निर्मला के चारों ओर कथा-भवन का निर्माण करते हुए असम्बद्ध प्रसंगों का पूर्णतः बहिष्कार किया गया है।
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